इस चिट्ठी में मुक्त सॉफ्टवेयर (ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर) की चर्चा है।

ओपेन सोर्स इनिशियेटिव का चिन्ह
इस लेख को क्यों पढ़ें
इक्कीसवीं शताब्दी में बौधिक सम्पदा अधिकारों की महत्वपूण भूमिका रहेगी| ओपेन सोर्स सौफ्टवेर का बौधिक सम्पदा अधिकार से अलग तरह का रिशता है इसीलिये इसके महत्व को नकारा नहीं जा सकता, हो सकता है कि आने वाले कल में, सूचना प्रद्योकिकी की दिशा इसी पर निर्भर करे| इसीलिये ओपेन सोर्स सौफ्टवेर को जानना, इसके महत्व को समझना, तथा इसके एवं बौधिक सम्पदा अधिकार के साथ रिशते को आत्मसात करना नितान्त आवश्यक है।
ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर के बारे में गलतफ़हमी
आप यह भी न सोंचे कि ओपेन सोर्स सौफ्टवेर केवल कमप्यूटर वैज्ञानिकों के लिये है पर आम व्यक्ति के लिये नहीं है| यह कुछ साल पहले ठीक हो सकता था, पर आज नहीं। मैं कोई कमप्यूटर वैज्ञानिक नहीं हूं पर मेरे कमप्यूटर मे कोई भी मालिकाना (Proprietary) सौफ्टवेर नही है। आज की तारीख में ओपेन सोर्स सौफ्टवेर में औफिस में होने वाले सारे कार्य करना, लिखना, ईन्टरनेट पर जाना, तरह तरह के PPT Presentation देना, गाने सुनना, DVD देखना, ब्लौग करना, या और कुछ जो कि हम सब करना चाहते हैं उतना ही सरल है जितना कि मालिकाना सौफ्टवेर में| सबसे अच्छी बात है यह है कि बौधिक सम्पदा अधिकारों (Intellectual Property Rights) की कोई झन्झट नहीं तथा इसमें काम करने से आम व्यक्ति को पैसे खर्चा करने से मुक्ति और सौफ्टवेर की चोरी का कोई सवाल नही|
इस लेख को समझने के लिये कमप्यूटर ज्ञान की आवश्यकता नहीं है यह लेख वास्तव में आम व्यक्ति के लिये है। यह ओपेन सोर्स सौफ्टवेर के साथ, उससे जुड़े कानूनी मुद्दों की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता है जिसके बारे में हम ध्यान नहीं दे रहें हैं कहीं ऐसा न हो कि जब हम ध्यान देने की बात सोंचे तब बहुत देर हो जाय। इसलिये यदि आप कमप्यूटर विज्ञान से सम्बधं नहीं रखते हों तो आप यह न सोंचे कि यह लेख आपके लिये नही है।
आप यह भी न सोंचे कि यह आपके समझ मे नहीं आयेगा। मैं कमप्यूटर पर काम तो करता हूं पर कमप्यूटर वैज्ञानिक नही हूं, न ही मुझे कमप्यूटर के बारे में कोई जानकारी है। इस लेख में कोई भी ऐसी बात नहीं है जो एक आम व्यक्ति न समझ सके।
सॉफ्टवेयर क्या है
तकनीकी दृष्टि से सौफ्टवेयर के दो हिस्से होते हैं ।
- सोर्स कोड (source code); और
- औबजेक्ट कोड (object code)।
इन दोनों को समझने के लिये थोड़ा सौफ्टवेयर के इतिहास को जानना होगा।
सोर्स कोड: कम्पयूटर हम लोगो की भाषा नहीं समझते हैं| वे केवल हां या ना, अथवा 1 अथवा 0 की भाषा समझते हैं| हमारे लिये इस भाषा में प्रोग्राम लिखना बहुत मुश्किल है| पहले प्रोग्राम इसी तरह से लिखे जाते थे एक पंच-कार्ड होता था जिसे छेद किया जाता था कार्ड में छेद का मतलब हां और यदि छेद नहीं है तो मतलब ना।
(पंच कार्ड)
जब कमप्यूटर विज्ञान का विकास हुआ तो ऊचें स्तर की कमप्यूटर भाषाओं (high level languages), जैसे कि बेसिक, कोबोल , सी ++ इत्यादि, का भी ईजाद किया गया| इन भाषाओं में ख़ास सुविधा यह है कि प्रोग्राम अंग्रेजी भाषा के शब्दों एवं वर्णमाला का प्रयोग करते हुये लिखा जा सकता है| जब इस तरह से प्रोग्राम लिख लिया जाता है तो उसे हम सोर्स कोड कहते हैं| अब इसे कमप्यूटर के समझने की भाषा में बदला जाता है।
औबजेक्ट कोड: ऊचें स्तर की कमप्यूटर भाषाओं में एक प्रोग्राम होता है जिसे कम्पाइलर (complier) कहते हैं। कम्पाइलर के द्वारा सोर्स कोड को जब कम्पाइल किया जाता है तो सोर्स कोड कम्पयूटर की भाषा, यानी 1 या 0 की भाषा में, बदल जाता है| इसको औबजेक्ट कोड या मशीन कोड भी कहते हैं। सौफ्टवेर किस तरह से कानून में सुरक्षित होता है, इसको जानने से पहिले कुछ बात बौधिक सम्पदा अधिकारों की।
बौद्धिक सम्पदा अधिकार (Intellectual Property Rights)
बौधिक सम्पदा अधिकारों मस्तिष्क की उपज हैं| दुनिया के देश, कई सदियों से अपने-अपने कानून बना कर इन्हे सुरक्षित करते चले आ रहें हैं। सन १९९५ में विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) बना। Agreement on the Trade related aspect of intellectual property rights (TRIPS) या ट्रिप्स, इस संगठन का एक समझौता है। सारे देश जो विश्व व्यापार संगठन के सदस्य हैं, उन्हे इसे मानना है तथा अपने कानून इसी के मुताबिक बनाने हैं। हम भी बौधिक सम्पदा अधिकार से सम्बन्धित कानूनों को इसी के कारण बदल रहे हैं ताकि वह ट्रिप्स मुताबिक हो जाये। कई लोगों का इसी लिये कहना है कि हम लोग कानून इसलिये नही बदल रहें हैं कि हमें उनकी आवश्यकता है पर इस लिये कि ट्रिप्स कहता है तथा विश्व व्यापार संगठन एवं ट्रिप्स के कारण हमने अपनी प्रभुत्ता खो दी है। खैर यह विवाद अलग है हमें तो ओपेन सोर्स सौफ्टवेर के बारे में बात करनी है तथा केवल इसी सम्बन्ध में बौधिक सम्पदा अधिकारों के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी कर रहें हैं।
ट्रिप्स में सात तरह के बौधिक सम्पदा अधिकार के बारे में चर्चा की गयी है इसमें तीन तरह के अधिकार, यानी की कापीराइट (Copyright), ट्रेड सीक्रेट (Trade Secret), तथा पेटेन्ट (Patent), कमप्यूटर सौफ्टवेर को प्रभावित करते हैं| सौफ्टवेर को पेटेन्ट कराने का मुद्दा विवादास्पद है तथा कुछ कठिन भी। इसे फिलहाल हम छोड़ देते हैं।
कॉपीराइट एवं ट्रेड सीक्रेट
कौपीराइट: कौपीराइट किसी चीज के वर्णन में हैं। यदि आप कोई अच्छी कहानी लिखें, या कोई गाना संगीत-बद्ध करें, या पेन्टिंग करे तो यह किसी चीज़ का वर्णन होगा| उसमें आपका कापीराइट होगा। यदि उसे प्रकाशित करें तो कोई और उसे आपकी अनुमति के बिना प्रयोग नही कर सकता है।
ट्रेड सीक्रेट: जैसा कि इसका नाम कहता है केवल उसी को मालुम होता है जो उसे निकालता या ढ़ूढता है। कोका-कोला का नुस्खा, दुनिया का सबसे अचछा ट्रेड सीक्रेट है। उसे केवल कोका-कोला के मालिक ही जानते हैं। कोका-कोला का मिश्रण गाढ़े रूप में आता है और लोग तो केवल उसमें पानी मिलाते हैं और बोतलों में भरते हैं।
ट्रेड सीक्रेट को सुरक्षित करने के लिये दुनिया के कई देशों में अलग कानून है पर अपने देश में नहीं। इसके लिये तो संविदा तोड़ने या विश्वास तोड़ने का मुकदमा ही ठोका जा सकता है। हांलाकि ट्रिप्स इस तरह का कानून बनाने को कहता है पर हमने नहीं बनाया। हमारे हिसाब से संविदा या विश्वास तोड़ने का मुकदमा दायर करना, ट्रिप्स की शर्तों को पूरा करता है| चलिये जब विश्व व्यापार संगठन में कोई यह मुद्दा उठायेगा तो देखेंगे, हम तो यह देखें कि सौफ्टवेर कैसे सुरक्षित किया जाता है।
सॉफ्टवेयर कैसे सुरक्षित होता है
१. कॉपीराइट की तरह: ‘सोर्स कोड और ऑबजेक्ट कोड’ शीर्षक के अन्दर पर चर्चा की थी कि आजकल सोर्सकोड ऊचें स्तर की कमप्यूटर भाषाओं (high level languages) में अंग्रेजी भाषा के शब्दों एवं वर्णमाला का प्रयोग करते हुये लिखा जाता है। यह उस सॉफ्टवेयर के कार्य करने के तरीके को बताता है तथा यह एक तरह का वर्णन है। यदि, इसे प्रकाशित किया जाता है तो उस सॉफ्टवेयर के मालिक या जिसने उसे लिखा है उसका कॉपीराइट होता है।
ऑबजेक्ट कोड कम्पयूटर को चलाता है और यह हमेशा प्रकाशित होता है, परन्तु क्या यह किसी चीज का वर्णन है अथवा नहीं इस बारे में शक था। ट्रिप्स के समझौते के अन्दर यह कहा गया कि कंप्यूटर प्रोग्राम को कॉपीराइट की तरह सुरक्षित किया जाय। इसलिये ऑबजेक्ट कोड हमारे देश में तथा संसार के अन्य देशों में इसी प्रकार से सुरक्षित किया गया है।
कंप्यूटर प्रोग्राम के ऑबजेक्ट कोड तो प्रकाशित होतें हैं पर सबके सोर्स कोड प्रकाशित नहीं किये जाते हैं। जिन कमप्यूटर प्रोग्राम के सोर्स कोड प्रकाशित किये जाते हैं उनमें तो वे कॉपीराइट से सुरक्षित होते हैं। पर जिन कंप्यूटर प्रोग्राम के सोर्स कोड प्रकाशित नहीं किये जाते हैं वे ट्रेड सीक्रेट की तरह सुरक्षित होते हैं।
२. ट्रेड सीक्रेट की तरह: मालिकाना कंप्यूटर प्रोग्राम में समान्यत: सोर्स कोड प्रकाशित नहीं नही किया जाता है तथा वे सोर्स कोड को ट्रेड सीक्रेट की तरह ही सुरक्षित करते हैं। यह भी सोचने की बात है कि वे सोर्स कोड क्यों नही प्रकाशित करते हैं?
सोर्स कोड से ऑबजेक्ट कोड कम्पाईल (compile) करना आसान है; यह हमेशा किया जाता है और इसी तरह प्रोग्राम लिखा जाता है। पर इसका उलटा यानि कि ऑबजेक्ट कोड से सोर्स कोड मालुम करना असम्भ्व तो नहीं पर बहुत मुश्किल तथा महंगा है। इस पर रिवर्स इन्जीनियरिंग का कानून भी लागू होता है। इसी लिये सोर्स कोड प्रकाशित नहीं किया जाता है। इसे गोपनीय रख कर, इसे ज्यादा आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है। रिवर्स इन्जीनियरिंग भी रोचक विषय है, इसके बारे पर फिर कभी।
३. पेटेन्ट की तरह: ‘बौधिक सम्पदा अधिकार (Intellectual Property Rights)’ शीर्षक में चर्चा हुई थी कि सॉफ्टवेयर को पेटेन्ट के द्वारा भी सुरक्षित करने के भी तरीके हैं कई मालिकाना सॉफ्टवेयर इस तरह से भी सुरक्षित हैं पर यह न केवल विवादास्पद हैं, पर कुछ कठिन भी हैं। इसके बारे में फिर कभी।
४. सविंदा कानून के द्वारा: सविंदा कानून(Contract Act) भी सॉफ्टवेयर की सुरक्षा में महत्वपूण भूमिका निभाता है। आप इस धोखे में न रहें कि आप कोई सॉफ्टवेयर खरीदते हैं। आप तो केवल उसको प्रयोग करने के लिये लाइसेंस लेते हैंl आप उसे किस तरह से प्रयोग कर सकते हैं यह उसकी शर्तों पर निर्भर करता है । लाइसेंस की शर्तें महत्वपूण हैं। यह सविंदा कानून के अन्दर आता है।
ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर में सोर्स कोड हमेशा प्रकाशित होता है। यह किस प्रकार का सॉफ्टवेयर होता है यह इसके लाइसेंसों की शर्तों पर निर्भर करता है, जिसके अन्तर्गत यह प्रकाशित किये जाते हैं। इसके बारे में बात करने से पहिले हम लोग बात करेगें: कॉपीलेफ्ट (Copyleft), फ्री सॉफ्टवेयर, और जी.पी.एल. {General Public License (GPL)} की।
कॉपीलेफ्ट
कुछ लोग कॉपीराइट का वर्णन कर कंप्यूटर प्रोग्राम को सुरक्षित इस प्रकार से कर रहे हैं कि न तो वे स्वयं उस पर कोई भी मालिकाना हक रख रहें हैं न ही कोई और व्यक्ति उनके द्वारा बनाये गये कंप्यूटर प्रोग्राम पर मालिकाना अधिकार रख सकता है। उदाहरणार्थ, यदि मैं कोई कंप्यूटर प्रोग्राम लिखूं और उसका सोर्स कोड और ऑबजेक्ट कोड में इस तरह की घोषणा तथा शर्त लगाते हुये प्रकाशित करूं कि,
- यह मैने लिखा है; और
- इसमें मेरा कॉपीराइट है; और
- मैं हर व्यक्ति को इस कमप्यूटर प्रोग्राम (सोर्सकोड और ऑबजेक्ट कोड) की कापी करने, वितरण करने, तथा संशोधन करने का अधिकार देता हूं। इसके लिये उन्हें मुझे कोई रॉयलटी नहीं देनी होगी;
पर इसकी शर्त यह है कि,
- यदि वह व्यक्ति कमप्यूटर प्रोग्राम का संशोधित करके या बिना संशोधित किये वितरित करता हैं तो उसे भी सोर्सकोड और ऑबजेक्ट कोड प्रकाशित करना होगा; और
- अन्य लोगों को वही स्वतंत्रता देनी होगी जैसी कि मैंने उसे दी है।
अब इस घोषणा और शर्त के कारण न तो मैं स्वयं न और कोई अन्य व्यक्ति इस कंप्यूटर प्रोग्राम के प्रयोग करने अथवा संशोधन करने हक रख सकता है। इस तरह की घोषणा के द्वारा मैने सुनिश्चित कर दिया है कि कोई अन्य व्यक्ति भी इसका प्रयोग अथवा संशोधन बिना कॉपीराइट के उल्लंघन किये कर सकता है। साधारणतय:, कॉपीराइट का अर्थ यह होता है कि कोई अन्य व्यक्ति उसका प्रयोग अथवा संशोधन उसके मालिक की अनुमति के न कर सके। यहां कॉपीराइट का प्रयोग करते हुये ठीक इसका उल्टा काम हुआ। कॉपीराइट का यदि कोई उल्टा शब्द हो सकता है तो वह है कॉपीलेफ्ट। यह एक नया शब्द है और अभी तक अंग्रेजी के शब्द कोश में नहीं आया है हालांकि कंप्यूटर शब्दकोश में यह एक प्रचलित शब्द है। जिस कंप्यूटर प्रोग्राम के लाईसेंस में इस तरह की घोषणा और शर्त होती है उसे कॉपीलेफ्टेड सॉफ्टवेयर कहा जाता है। इस तरह का सॉफ्टवेयर फ्री सॉफ्टवेयर, भी कहलाता है।
फ्री सौफ्टवेयर: इतिहास
कॉपीलेफ्ट शब्द का प्रयोग होने के पहले और अब भी ऐसे सौफ्टवेयरों के लिये फ्री शब्द प्रयोग किया जाता है।
फ्री शब्द का प्रयोग करना रिचर्ड स्टालमेन ने शुरू किया और यह आन्दोलन भी उनका ही शुरू किया गया है। वे 1980 के दशक में मैसाचुसेट इस्टिंट्यूट आफ टेक्नौलोजी में पढ़ाते थे । उनके मुताबिक पहले कमप्यूटर प्रोग्रामर सौफ्टवेयर में कापीराइट क्लेम नहीं करते थे और बहुत आसानी से एक दूसरे को अपना प्रोग्राम दे देते थे लेकिन बाद में कमप्यूटर प्रोग्रामरों ने अपना प्रोग्राम एक दूसरे को देना बन्द कर दिया और किसी और को उनके प्रोग्राम में संशोधन करने का अधिकार भी समाप्त कर दिया । स्टालमेन को लगा कि इस तरह से कमप्यूटर सौफ्टवेयर कुछ खास लोगों के पास रह जायेगा और उसका सर्वांगीण विकास नहीं हो पायेगा । इसलिये उन्होंने अपना इन्स्टीटयूट को छोड कर घन्यू प्रोजेक्ट (GNU project), फ्री सौर्स फाउण्डेशन (Free Source Foundation) के अंतर्गत शुरू किया| इसमें उस तरह के सौफ्टवेयर लिखने शुरु किये जो कि कौपीलेफ्टेड हों।
उन्होंने इस तरह के साफ्टवेयर को फ्री-सौफ्टवेयर का नाम दिया| यह इसलिये, क्यों कि उनके मुताबिक इसमें लोगों को कमप्यूटर प्रोग्राम या सौफ्टवेयर को संशोधन करने की स्वतंत्रता है उनका कहना है कि फ्री को ऐसे मत सोचो जैसा फ्री बीयर में है पर ऐसे देखो जैसा कि फ्रीडम आफ स्पीच में है| फ्री सौर्स फाउण्डेशन की वेबसाईट के मुताबिक, उन्ही के शब्दों में
‘Free software’ is a matter of liberty, not price. To understand the concept, you should think of ‘free’ as in ‘free speech’, not as in ‘free beer’.
फ्री तथा जीपीएल्ड (GPLed) सॉफ्टवेयर की शर्तें
फ्री या कॉपीलेफ्टेड सौफ्टवेयर में निम्न बातें मुख्य हैं –
- इसमें सोर्स कोड हमेशा प्रकाशित किया जाता है
- इस तरह के सौफ्टवेयर के लिये कोई पैसा या रौयल्टी नहीं देनी पड़ती है पर यदि उसके सम्बन्ध में यदि आप कोई सर्विस दे रहें है तो सर्विस देने का पैसा ले सकते हैं|
- इस तरह के सौफ्टवेयर को कोई भी संशोधित कर सकता है
- इस तरह के सौफ्टवेयर को संशोधन करने के बाद प्रकाशित करने या बाटंने की कोई आवश्यकता नही है| आप उसे बिना प्रकाशित या बाटें अपने संगठन में प्रयोग कर सकते हैं|
पर यदि इस तरह के सौफ्टवेयर को बिना संशोधन किये या संशोधित करने के बाद बांटा जाता है तो उसमें वही शर्तें रहेंगीं जो कि पहले थीं यानी कि
- सोर्सकोड प्रकाशित करना पडेगा;
- अन्य लोगों को संशोधन करने की स्वतंत्रता देनी होगी; तथा
- सौफ्टवेयर के लिये कोई पैसा या रौयल्टी नहीं ली जा सकती है|
स्टालमेन ने कुछ वकीलों की मदद से जनरल पब्लिक लाइसेंस (General Public License) (GPL) लिखा, जिसमें इस तरह की घोषणा एवं शर्त है जो किसी भी साफटवेयर को कौपीलेफ्ट करता है| इसलिये इस तरह के सौफ्टवेर को गीपीएल्ड (GPLed) सौफ्टवेर भी कहा जता है| यानि कि फ्री सौफ्टवेर या कौपीलेफ्टेड सौफ्टवेर या गीपीएल्ड सौफ्टवेर एक ही तरह के सौफ्टवेर के पर्यायवाची शब्द हैं|
ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर क्या है
यदि सौफ्टवेयर के लिये पैसा नहीं मिलेगा तो काम कैसे चलेगा| तब व्यापारी वर्ग को ऐसा लगा कि यह सौफ्टवेयर बेकार है और उन्होंने इसे अपने से बहुत दूर रखा| हालांकि ऐसे सौफ्टवेयर से भी पैसा कमाया जा सकता है लेकिन उसका तरीका कुछ अलग है, परन्तु फ्री सौफ्टवेयर पर कुछ ऐसा ठप्पा लग गया कि व्यापारी वर्ग उन दूसरे तरीकों को भी अपनाने से दूर रहने लगे| 1997 में फ्री सौफ्टवेयर में उत्साही लोगों ने सैन-फ्रांसिस्को में एक मीटिंग की तथा ओपेन सोर्स ईनिशियेटिव (Open Source Initiative) (OSI) (ओ.एस.आई.) नाम की सार्वजनिक कारपोरेशन बनायी| इसमें १० मार्ग दर्शक सिद्धांत बनाये गये| और यदि सौफ्टवेयर का लाइसेंस उन १० शर्तो को सन्तुष्ट करता हो तो ऐसे सौफ्टवेयर को उन्होंने ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर की संज्ञा दी| इन १० मार्ग दर्शक सिद्धांतो में मुख्य ३ निम्न हैं:
- सौफ्टवेयर का सोर्सकोड प्रकाशित होना चाहिये;
- सौफ्टवेयर के लिये कोई भी रायल्टी नहीं ली जा सकती है;
- सोर्सकोड को संशोधित करने की सभी को स्वतंत्रता रहेगी|
ओ.एस.आई. ने अपने मार्ग दर्शक सिद्धांतों के अंतर्गत तरह-तरह के लाइसेंसों का मुआयना किया और करीब ५८ लाइसेंसो के लिये कहा कि वह 10 मार्ग दर्शक सिद्धांतों को सन्तुष्ट करते हैं जो भी सौफ्टवेयर इन लाइसेंसो के अंतर्गत प्रकाशित किये जाते हैं उन्हें ही ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर कहा जाता है|
ओ.एस.आई. के द्धारा चिन्हित लाइसेन्सों के एक छोर पर जीपीएल्ड लाइसेंस है जो किसी भी सौफ्टवेयर को सबसे ज्यादा कापीलेफ्ट करता है| ओपेन सोर्स सौफ्टवेर लाइसेन्सों में यह सबसे लोकप्रिय भी है| दूसरे छोर पर बरकले सौफ्टवेयर डिस्ट्रीब्यूशन (Berkeley Software Distribution) (बी.एस.डी.) है| जिसके अंतर्गत प्रकाशित किये हुये सौफ्टवेयर को आप संशोधित कर, अपने स्वामित्व में ले सकते हैं| बाकी सारे चिन्हित किये गये लाइसेंस में इन दो किनारों के बीच में हैं तथा अलग-अलग स्तर तक सौफ्टवेयरों को कौपीलेफ्ट करते हैं|
केवल सोर्सकोड प्रकाशित किये जाने पर सौफ्टवेयर को ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर नहीं कहा जा सकता जब तक कि उस सौफ्टवेयर का लाइसेंस ओ.एस.आई. की दसों मार्ग दर्शक सिद्धांतो को भी न सन्तुष्ट करे|
ओ.एस.आई. का लोगो
जिन सौफ्टवेयर में ओ.एस.आई. का लोगो लगा होता है इसका अर्थ है कि वह ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर है|
लोकप्रिय – ओपेन सोर्स सौफ्टवेर
कुछ लोकप्रिय ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर निम्न हैं|
१. आपरेटिंग सिस्टम वह साफटवेयर होता है जो किसी कमप्यूटर के हार्डवेयर में समंव्य लाता है तथा कमप्यूटर को चलाता है मुख्यत: तीन तरह के आपरेटिंग सिस्टम हैं
- विन्डोज़ की तरह के: यह दुनिया में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है
- यूनिक्स की तरह के: इसमें कई तरह के आपरेटिंग सिस्टम हैं इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय लिनेक्स (Linux) है| इसका ग्राफिकल इन्टरफेस विन्डोज़ की तरह का है परन्तु दोनों में तकनीक की भिन्नता है| मैं खुद लिनेक्स के कमप्यूटर पर काम करता हूं और मैं नहीं समझता कि इसमें काम करने में विन्डोज़ से ज्यादा मुश्किल होती है| पहले मैंने इसी सिरीज़ के लेखों में लिनेक्स के इतिहास तथा इसके बारे में चल रहे मुकदमें के बारे में बताने के लिये कहा था पर शायद इसे अलग से बताना ही ठीक रहेगा यह सिरीस बहुत लम्बी हो रही है| लिनेक्स के बारे में अलग से ही बात करना ही ठीक रहेगा|
- मैक/ औ.एस. की तरह के: परसनल कमप्यूटर की शुरूआत इन्हीं से हुई थी तथा चलाने में यह सबसे आसान हैं| अपने देश में तो नहीं, पर बाहर के देशों में ज्यादा लोकप्रिय है| बरक्ले यूनिक्स, यूनिक्स का ही रूप है| मैक सिस्टम में बरक्ले यूनिक्स का काफी योगदान है|
ओ.एस.-२, आई.बी.एम. के द्वारा निकाला हुआ आपरेटिंग सिस्टम था पर अब यह नही चल रहा है| यह भी अपने में विचारणीय प्रश्न है कि ओ.एस.-२ बहुत अच्छा आपरेटिंग सिस्टम होने के बाद क्यों नही चला तथा मैक भी इतना आसान आपरेटिंग सिस्टम होने के बाद भी विन्डोज़ की तरह क्यों नहीं लोकप्रिय है | इसकी वृस्तित चर्चा तो फिर कभी करेंगे पर इसकी कुछ जानकारी यहां पर है|
अभी तो केवल इतना ही कि यूनिक्स के अधिकतर रूप ओपेन सोर्स साफटवेयर हैं| लिनेक्स ओपेन सोर्स साफटवेयर है और जी.पी.एल. के अन्दर प्रकाशित है|
२. फायरफोक्स(Firefox), थन्डरबर्ड(Thunderbird) तथा सनबर्ड (Sunbird) मौज़िला फाउन्डेशन के साफटवेयर हैं | यह मौज़िला प्बलिक लाईसेंस के अन्दर प्रकाशित है| यह लिनेक्स तथा विन्डोज़ दोनों पर चलते हैं फायरफौक्स, इन्टरनेट एक्सप्लोरर की तरह वेब ब्राउजर है| थन्डरबर्ड, आउटलुक एक्सप्रेस की तरह ई-मेल भेजने व पाने के लिये साफटवेयर है| सनबर्ड, माइक्रोसौफ्ट आउटलुक की तरह का ई-मैनेजर है|
३. जिम्प (GIMP): यह फोटो ठीक करने का फोटोशौप की तरह का सौफ्टवेयर है| यह जी.पी.एल. के अन्दर प्रकाशित है| यह लिनेक्स एवं विन्डोज़ दोनों पर चलता है|
४. ओपेन आफिस डाट ओर्ग (OpenOffice.Org): यह एल.जी.पी.एल. के अन्दर प्रकाशित है| यह माइक्रोसौफ्ट औफिस की तरह का सौफ्टवेयर है तथा आफिस में कार्य आने वाले सारे कार्य कर सकता है| यह विन्डोज़ तथा लिनेक्स दोनों पर चलता है| यह माइक्रोसॉफ्ट औफिस में बनाये गये अलग-अलग तरह के फौरमेट (Format) के दस्तावेजों, प्रस्तुतीकरण को खोल सकता है तथा उसी फौरमेट में सुरक्षित कर सकता है|
५. ऐपाचे (Apache): यह वेब सरवर के लिये सबसे ज्यादा लोकप्रिय साफटवेयर है|
यदि आप विन्डोज़ में काम करते हैं तथा लिनेक्स पर जाने की बात सोचते हैं तो आप ओपेन आफिस डाट और्ग, फायरफौक्स, थन्डरबर्ड,सनबर्ड और जिम्प पर काम करके देखें|
ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर: परिवर्णी शब्द ( acronym)
जब हम लोग ओपेन सोर्स सौफ्टवेर की बात कर रहे हैं तो उन तीन परिवर्णी शब्द ( acronym) की बात कर ली जाय जो इस सम्बन्ध में प्रयोग किये जाते हैं
- FOSS
- FLOSS
- LAMP
FOSS/ FLOSS: फ्री सौफ्टवेर, ओपेन सोर्स सौफ्टवेर है पर हर ओपेन सोर्स सौफ्टवेर, फ्री सौफ्टवेर नहीं है| फ्री सौफ्टवेर के लिये उसे जी.पी.एल. लाइसेंस के अन्दर प्रकाशित होना होगा पर ओपेन सोर्स सौफ्टवेर कई अन्य तरह के लाइसेंस के अन्दर भी प्रकाशित हो सकता है| दोनों में अन्तर तो है पर सम्बन्ध भी गहरा है| फ्री सौफ्टवेर से ही यह सब शुरू हुआ है इसलिये ऐसे सौफ्टवेर को Free Open Source Software या छोटे में FOSS कहा जाता है|
यहां फ्री शब्द का अर्थ स्वतंत्रता से है पर फ्री शब्द का अर्थ बिना पैसे के भी होता है इसलिये फ्री शब्द का प्रयोग कुछ चक्कर में डाल देता है| फ्रेंच भाषा में दो अलग-अलग शब्द हैं
- Gratis जिसका अर्थ बिना पैसे के होता है
- Libre जिसका अर्थ स्वतंत्रता से होता है
इसलिये लोग अक्सर Free/Libre Open Source Software या FLOSS का प्रयोग करते हैं
LAMP: ओपेन सोर्स सौफ्टवेर के चार मुख्य स्तम्भ हैं:
- Linux
- Appache
- MySQL
- Python, Perl, PHP इत्यादि
लिनेक्स तथा एपैचे के बारे में पहिले चर्चा हो चुकी है| MySQL एक डाटा-बेस प्रबंध करने का प्रोग्राम है| Python, Perl, PHP इत्यादि स्क्रिप्टिंग तथा प्रोग्राम लिखने की कमप्यूटर भाषायें हैं इन्हीं के पहले अक्षर को छोटा कर के LAMP शब्द बना है| आने वाला कल हो सकता है कि इसी LAMP से उज्जवलित हो इसलिये ओपेन सोर्स सौफ्टवेर को किनारे न कीजिये, ध्यान में रखिये।
ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर: महत्व
- बौद्धिक सम्पदा अधिकार: जब कोई व्यक्ति मालिकाना सॉफ्टवेयर पर काम करता है तो वह मालिकाना सॉफ्टवेयर के बौद्धिक संपदा अधिकारों को बढ़ाता करता है, पर जब वह ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर पर काम करता है तब वह अपने बौद्धिक सम्पदा अधिकारों को बढ़ाता है, या कम से कम किसी और के नहीं। वह अपने बौद्धिक सम्पदा अधिकारों को बढ़ा रहा है या किसी के भी नहीं बढ़ा रहा है, यह उस ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर की लाईसेंस की शर्तों के ऊपर निर्भर करता है। हमारा देश दुनिया के सारे देशों में सॉफ्टवेयर के मामले में आगे हैं और यह विचारणीय प्रश्न है कि किसके बौद्धिक सम्पदा अधिकारो को मजबूत किया जाना चाहिये।
- बौद्धिक सम्पदा अधिकार के साथ रिश्ता: ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर की सबसे महत्वपूर्ण बात इनका बौद्धिक सम्पदा अधिकार के साथ रिश्ता है। इसको लिखने वाले इसके प्रयोग और संशोधन करने में कोई भी बौद्धिक संपदा अधिकार का दावा नहीं करते हैं यह बात इस तरह से स्पष्ट है कि इसे लिखने वाले स्वयं कहते हैं कि जो चाहे तो इसका प्रयोग कर सकता है, वितरित कर सकता है तथा संशोधित कर सकता है। यह सच है कि इस शताब्दी में लड़ाईयां पानी तथा तेल पर होंगी पर बहुत सी लड़ाईयां बौद्धिक संपदा अधिकारों को लेकर होंगी। ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर का प्रयोग करने से बौद्धिक संपदा अधिकार के झगडों से बचा जा सकता है।
- प्रयोग या संशोधन करने में कॉपीराइट का कोई अतिक्रमण नहीं: ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर को प्रयोग या संशोधन करने में हमेशा छूट रहती है। इसलिये उसका प्रयोग करने से या संशोधन करने से किसी के भी कॉपीराइट का अतिक्रमण नहीं होता है। अक्सर जब आप किसी के मालिकाना सॉफ्टवेयर का बिना पैसा दिये का प्रयोग करते हैं या एक कॉपी लेकर एक से अधिक कंप्यूटर में प्रयोग करते हैं तो आप उसके कॉपीराइट का उल्लंघन करते हैं। यह कानूनी तौर पर गलत है इस कारण आप जेल भी जा सकते हैं और हर्जाना देना पड़ सकता है। यदि ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर के प्रयोग अथवा संशोधन करने में कभी भी कानून का भी उल्लंघन नहीं होता है। इसका प्रयोग एवं संशोधन बिना किसी अपराध भावना के किया जा सकता है। हां जिन शर्तो के अन्दर यह प्रकाशित किया गया है उसका उल्लंधन करने पर अवश्य कॉपीराइट का अतिक्रमण होता है।
- व्यय में कमी: ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर के लिये कोई भी रॉयल्टी नहीं ली जा सकती है। इसलिये इसका प्रयोग करने से हमेशा खर्च कम होता है। यदि कोई योजना शुरू की जाय तो ओपेन सोर्स सोर्स सौफ्टवेर प्रयोग करने से उसका खर्च हमेशा कम रहेगा।
- सॉफ्टवेयर के दाम में कमी: चूंकि ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर के लिये कोई भी रॉयल्टी नहीं ली जा सकती है तथा इसके प्रयोग करने से खर्च कम होता है इसलिये बहुत से मालिकाना सॉफ्टवेयर के मालिकों ने भी अपने दाम कम किये हैं।
- मनपसंद किया जा सकता है: ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर को हमेशा संशोधित किया जा सकता है इसलिये आप इसे हमेंशा मनपसन्द बना सकते हैं। यह मालिकाना सॉफ्टवेयर में तब तक सम्भव नहीं है जब तक कि मालिकाना सॉफ्टवेयर का मालिक स्वयं न चाहे। ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर को आप जिस भाषा में चाहे उसमें प्रयोग कर सकते हैं। हमारे देश की बहुत कम जनसंख्या अंग्रेजी जानती है। ज्यादातर लोग मार्तभाषा का प्रयोग करते हैं यदि हम लोगों को मार्तभाषा में कंप्यूटर दे सके तो सूचना प्रौद्योगिकी को जन-जन तक ले जाया जा सकता हैं और यह सूचना प्रौद्योगिकी को तेजी से ऊंचाई तक ले जाने में हमारी सहायक हो सकती है। इसी लिये इस समय कई मालिकाना सॉफ्टवेयरों ने भी हिन्दीमय होने का फैसला किया है।
- वायरस नहीं: वायरस एक तरह का कंप्यूटर प्रोग्राम होता है जो कि दूसरे कंप्यूटर या कंप्यूटर के डाटा को प्रभावित करता है। ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर में भी वायरस हो सकता है परन्तु यह मालिकाना सॉफ्टवेयर के मुकाबिले नगण्य है। कंप्यूटर वैज्ञनिकों के अनुसार चूंकि ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर खुला है इसलिये ज्यादा स्थायी है परन्तु मैं इसके बारे में इससे अधिक कहना ठीक नहीं समझता क्योंकि यह तकनीक का विषय है और कंप्यूटर तकनीक से सम्बन्धित लोग इस बारे में ज्यादा अच्छा बता सकते हैं।
लिनूस टोरवाल्डस तथा बिल गेट्स के विचार
लिनूस टोरवाल्डस, जो लिनेक्स के जन्मदाता हैं, ने अपनी जीवनी डेविड डाईमन्ड के साथ लिखी है| इसका नाम है ‘Just for Fun: the Story of an Accidental Revolutionary’| यह बहुत अच्छी पुस्तक है तथा इसे पढने से जीवन में आगे बढने की प्रेरणा मिलती है वह इस पुस्तक मे ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर के बारे में कहते हैं,
‘The GPL and open source model allows for the creation of the best technology. … It also prevents the hoarding of technology and ensures that anyone with interest won’t be excluded from its development.
…
So open source would rather use the legal weapon of copyright as an invitation to join in the fun, rather than as a weapon against others. It’s still the same old mantra: Make Love, Not War, except on a slightly more abstract level.
…
Imagine an intellectual property law that actually took other people’s rights into account, too. Imagine IP laws that encouraged openness and sharing. Laws that say sure, you can still have your secrets, whether they be technological or religious, but that doesn’t mandate legal protection for such secrecy.’
जब हम लोग बात ओपेन सौफ्टवेयर में कुछ फायदे के बारे में कर रहे है तो बहुत अच्छा होगा कि कुछ दूसरा पक्ष भी देखें| बिल गेट्स, विन्डोज़ के जन्मदाता हैं| उन्होंने ‘The Road Ahead’ पुस्तक लिखी है| यह पुस्तक भी बहुत अच्छी है| अपने नाम के मुताबिक यह बताती है कि सूचना प्रद्योगिकी भविष्य में किस तरफ जायेगी| इसमें कई मुश्किल सवालों को बहुत आसानी से समझाया गया है| इसमें वे फ्री सौफ्टवेयर की कमियों को इस तरह से वर्णन करते हैं,
‘In addition to free information, there’s a lot of free software on the Internet today, some of it quite useful. Sometimes it’s commercial software given away as part of a marketing campaign. Other times the software has been written as a graduate student project or at a government-funded lab. But I think consumer desire for quality, support, and comprehensiveness in important software applications means that the demand for commercial software will continue to grow. Already many of the students and faculty members who wrote free software at their universities are busy writing business plans for start-up companies that will provide commercial versions of their software with more features, not to mention customer support and maintenance.’
यह तो कहना मुश्किल है कि सौफ्टवेयर उद्योग किस तरफ जायेगा परन्तु दुनिया के बहुत सारे देश तथा व्यापार घराने ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर को अपना हिस्सा बना रहे हैं | हम इस समय एक दोराहे पर खड़े हैं और एक ऐसी स्थिति मे हैं कि सूचना प्रद्योगिकी को नया मोड़ दे सकते हैं| हमारी अंग्रेजी अच्छी है, गणित मे तो हम हमेशा से अच्छे थे| सूचना प्रद्योगिकी के इन्जीनियरों की हमारे पास कमी नहीं है| यदि हम ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर की शक्ति को समझ सके, उसको साज़ कर सके, तो शक नहीं कि हम इस गाने के,
सुनो गौर से दुनिया वालों,
बुरी नजर न हम पर डालो|
चाहे जितना जोर लगा लो,
सबसे आगे होंगे हिंदुस्तानी|
दूसरे आखरी शब्द ‘होंगे’ को ‘हैं’ मे बदल सकेंगे।
ईमेल: unmukt.s@gmail.com
नोट:-
(१) यह लेख उन्मुक्त चिठ्ठे पर ओपेन सोर्स सौफ्टवेर के नाम से कई कड़ियों मे प्रकाशित चिठ्ठियों को संग्रहीत कर के बनाया गया है| यदि आप इसे चिठ्ठे पर पढ़ना चाहें तो इसकी पहली कड़ी यहां पर देखें| उसके बाद अगली बार पर क्लिक कर आगे जा सकते हैं|
(२) ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर के बारे में सारी खबर आपको लिनेक्स टुडे की वेब-साईट से मिल सकती है| इसकी RSS feed भी है|
(३) यदि आप ओपेन सोर्स साफटवेयर का कोई सम्मेलन आयोजित करना चाहें तो यहां देखें|
पीडीएफ फौरमैट मे इस फाईल को डाउनलोड करें
उन्मुक्त जी,
हिन्दी जगत आपका आभारी है इतनी महत्वपूर्ण जानकारी हिन्दी मे प्रकाशीत करने के लिये।
आशीष
मेरे लिये यह आकर्षण है।
That’s the maximum hindi I could copy in bits from the text above. 🙂
Keep up the good work and thanks for this page!
मेरे अज्ञात मित्र – मेरे लिये भी यह आकर्षण, एक नशा जिसे केवल महसूस किया जा सकता है|
बहुत बहुत धन्यवाद – बडी मेहनत से लिखा है और बहुत ही जानकारी लेख है, हिन्दी भाषा मे ऐसे लेख बहुत कम पढने को मिलते हैं। एक बार फिर धन्यवाद
यह लेख पढने से मार्तभाषा आकर्षण,
We found this page very useful. Thanks to the Administrator!
[…] ओपेन सोर्स की भी यही कहानी है। लोग अक्सर सोचते हैं कि ओपेन सोर्स पर किसी एक का मालिकाना हक होना संभव नहीं है; इसके लिये पैसा नहीं लिया जा सकता है – इसलिये इससे पैसा नहीं कमाया जा सकता। यह सोच गलत है। ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर मुफ्त बांटने का यह मतलब नहीं है कि इससे पैसा नहीं कमाया जा सकता। यह उसी तरह की युक्ति है जैसी कि अफ्रीका के वित्तीय संस्थानों ने की। […]
नेहा जैसवाल जी,
आपने इस चिट्ठी पर टिप्पणी की थी। मैंने उसमें लिखी ईमेल पर जवाब विस्तार से भेजा था लेकिन वह वापस आ गया। आपने जो अपने चिट्ठे का पता दिया था उस पर कोई चिट्ठा नहीं दिख रहा है। यदि आप कोई दूसरा ईमेल भेजेंगी तो मैं विस्तार से जवाब दे पाउंगा। ऐसे मैंने फॉस इंडिया एवार्ड २००८ के बारे में यहां लिखा है। आप पढ़ कर देखें।
[…] मुक्त ऑपरेटिंग सिस्टम लिख रहा हूं। यह ग्नू की तरह न तो बड़ा होगा न ही उतना पेशेवर […]
[…] श्रंखला को एक साथ पढ़ना चाहते हैं तो ओपेन सोर्स सौफ्टवेर पर पढ़ सकते […]
[…] ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर के कुछ प्रोग्ग्राम और लिनेक्स के कुछ डिस्ट्रीब्यूशन के बारे में इस विडियो को देखें। […]
[…] ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर आंदोलन न केवल सॉफ्टवेर के क्षेत्र में नये आयाम खोल रहा है पर उच्च शिक्षा के दरवाजों पर भी दस्तक दे रहा है। मैसाचुसैटस् इन्सटिट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी (एम.आई.टी.) दुनिया के सबसे अच्छे विश्वविद्यालय में से एक है। उसने १ नवम्बर २००६ तक, १५५० विषयों की कोर्स-साम्रगी एम.आई.टी. वेबसाईट में डाल रखी है। वे इसे ओपेन कोर्स वेर का नाम देते हैं। यह क्रिऐटिव कौमनस् के ऐट्रीब्यूशन नौन कौमर्शियल शेयर अलाईक लाईसेनस २.५ (Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 2.5) के अन्दर प्रकाशित किया गया है। यानि कि आपको इसे, प्रयोग करने, बांटने, संशोधन करने की स्वतंत्रता है पर , […]