इस चिट्ठी में, पेटेंट से सम्बन्धित सवालों और इनके उत्तर की चर्चा है।
भूमिका
बौद्धिक सम्पदा अधिकार मस्तिष्क की उपज हैं और इनमे सबसे महत्वपूर्ण हैं – पेटेंट। पेटेंटी, पेटेंट का उल्लंघन करने वाले तरीके या उत्पाद के निर्माण को न्यायालय द्वारा रूकवा सकता है। बहुत से लोग यह कहते हैं कि पेटेंट तकनीक को आगे बढाता हैं पर बहुत से लोग यह भी कहते हैं कि इस युग में पेटेंट तकनीक की प्रगति पर बाधा पहुंचा रहा है। इसलिये यह जरूरी है कि हम पेटेंट को समझें और देखें कि वह हमारे देश की उन्नति में बाधा न बने।
पेटेंट की चर्चा हम निम्न क्रम से करेंगे।
- Agreement on the Trade Related Aspect of Intellectual Property Rights, (TRIPS या ट्रिप्स );
- इतिहास की दृष्टि मे पेटेंट ;
- अपने देश में पेटेंट कानून का इतिहास;
- पेटेंट प्राप्त करने की विधि का सरलीकरण;
- पेटेंट किसके लिये दिया जा सकता है; और
- पेटेंटी के अधिकार एवं दायित्व।
ट्रिप्स (TRIPS)
20वीं शताब्दी के अन्त होते, होते यह लगने लगा था कि 21वीं शताब्दी में बौद्धिक सम्पदा अधिकार महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। इसलिये 1980 के दशक में General Agreement of Trade and Tariff (G A T T या गैट ) के आंठवें चक्र में, अमेरिका ने यह कहना शुरू किया कि इन अधिकारों को भी गैट में रखा जाय। 1990 के दशक में विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) (WTO या डब्लू.टी.ओ.) की स्थापना हुई इसके चार्टर में कई समझौते हैं उनमें से एक Agreement on the Trade Related Aspect of Intellectual Property Rights, ( TRIPS या ट्रिप्स ) है। हम डब्लू. टी. ओ. के सदस्य हैं इसलिए यह हम पर भी लागू है । ट्रिप्स सात प्रकार की बौद्धिक संपत्ति अधिकारों की चर्चा करता है:
- Copyright and Related Rights, प्रतिलिपि प्राप्त करने तथा उससे सम्बन्धित अधिकार (कौपीराईट एवं रिलेटेड राईटस)
- Trade Mark, ट्रेड मार्क
- Geographical Indication, भौगोलिक उपदर्शन
- Industrial Design, औद्योगिक डिज़ाईन
- Patents, पेटेंट
- Layout- designs (Topography ) of Integrated Circuit, इन्टीग्रेटेड सर्किट की डिज़ाईन
- Protection of undisclosed Information,अप्रकाशित सूचना का संरक्षण या Trade Secret ट्रेड सीक्रेट
ट्रिप्स, बौद्धिक सम्पत्ति के अधिकारों के न्यूनतम मानकों को तय करता है और सदस्य देशों को उसके अनुपालन के लिए बाध्य करता है । इसीलिये हमें बौद्धिक संपदा अधिकार से सम्बन्धित कानूनों को संशोधित करना पडा। यह संशोधन करने के लिये अलग अलग तरह के देशों के लिये अलग समय की सीमा है। हमें 31-12-2004 तक कानून में संशोधन करना था। हमारी सरकार के अनुसार यह कर दिया गया है।
बौद्धिक सम्पदा अधिकार के क्षेत्र में बहुत कुछ करना बाकी है जो कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ही उठा कर किया जा सकता है। हमें, इसके लिये प्रयत्न करना चाहिये।
इतिहास की दृष्टि में
‘पेटेंट’ का शब्द, लैटिन के शब्द Lilterae Patents से आया है। पेटेंट का अर्थ है ‘खुला’, और Lilterae Patents का शाब्दिक अर्थ है ( Letters patents) या खुले पत्र। पुराने जमाने में शासको या सरकारों के द्वारा पदवी‚ हक‚ विशेष अधिकार पत्र के द्वारा दिया जाता है। यह शासकीय दस्तावेज होता था और इन्हे चूंकि सार्वजनिक रूप से दिया जाता था, इसलिए यह हमेशा ‘खुले’ रहते थे।
यूरोप में 6वीं शताब्दी में से इस तरह के पत्र दिये जाते थे। यह शासक की ओर से विदेशी भूमि की खोज तथा उस पर विजय के लिये जारी किये जाते थे। आजकल पेटेंट शब्द का प्रयोग आविष्कारों के संबंध में होता है। इस तरह का प्रयोग पहली बार 15वीं शताब्दी के आस-पास आया। सर्वप्रथम, पेटेंट कानून जैसा इसे आज समझा जाता हैं, 14 मार्च, 1474 को वियाना सिनेट (Venetian Senate) के द्वारा को पारित किया गया।
पेटेंट‚ आविष्कारकों को अनन्य (Exclusive) अधिकार देता है । यह बहुत जल्दी इटली से यूरोप के अन्य देशों तक फैल गया। जिन देशों के पास प्रौद्योगिकी नहीं थी, उन्होंने प्रौद्योगिकी को स्थापित करने के लिए विदेशी आविष्कारकों को पेटेंट देना शुरू कर दिया। इंगलैंड में पहले इसकी अवधि नहीं थी पर ब्रिटिश संसद ने 1623 में नया कानून बनाकर इसे 14 वर्षो तक सीमित कर दिया।
अमेरिका के संविधान के अनुच्छेद 1 अनुभाग 8 के अन्तर्गत अमेरिकी कॉग्रेस को विज्ञान और कलाओं की प्रगति के लिये कानून बनाने का अधिकार है। इस परिप्रेक्ष्य में कांग्रेस ने 1790 में पहला पेटेंट कानून पारित किया। फ्रान्स ने इसके अगले वर्ष पेटेंट कानून बनाया। 19वीं शताब्दी के अंत तक अनेक देशों ने अपना (जिसमें भारतवर्ष भी सम्मिलित है ) पेटेंट कानून बनाया।
भारतवर्ष में पेटेंट कानून का इतिहास
भारतवर्ष में पहला पेटेंट सम्बन्धित कानून, १८५६ में पारित अधिनियम था। इसे २५ फरवरी‚ १८५६ को गवर्नर जनरल की अनुमति प्राप्त हो गयी थी पर यह कानून १८५७ में अधिनियम सं. ९ के द्वारा इसलिये खारिज कर दिया गया कि इसे बनाने के पूर्व इंगलैंड की महारानी की मंजूरी नहीं प्राप्त की गयी थी।
नये अविष्कार के उत्पादकों को प्रोत्साहित करने के लिये १८५९ में, अधिनियम सं. १५ पारित किया। बाद में यह Inventions and Designs Act 1888 के द्वारा प्रतिस्थपित कर दिया गया। इसके बाद १९११ में Indian Patents and Designs Act १९११ आया। 1967 में भारत सरकार ने पार्लियामेंट में पेटैंट बिल पेश किया जो Patent Act १९७० (पेटेंट अधिनियम ) के रूप में पास हुआ। पेटेंट अधिनियम को तीन बार संशोधित किया गया है। कुछ संशोधन तो ट्रिप्स के मुताबिक कानून बनाने के लिये किये गये और कुछ अपने अधिकारों (जैसे परम्परागत सूचना) को सुरक्षित करने के लिये किये गये। यह संशोधन निम्न हैं,
- संशोधन अधिनियम सं. १७, १९९९ (१९९९ संशोधन);
- संशोधन अधिनियम सं. ३८,२००२ (२००२ का संशोधन);
- संशोधन अधिनियम सं. १५, २००५ (२००५ का संशोधन)।
पेटेंट प्राप्त करने की प्रक्रिया का सरलीकरण
प्रत्येक देश का अपना पेटेंट कानून है। साधारण तौर पर आविष्कारको को प्रत्येक देश में पेटेंट के लिए आवेदन देना आवश्यक है, जहां वे अपने आविष्कारों का प्रयोग करना चाहते हैं। हर देश में अलग अलग आवेदन पत्र देना कठिन कार्य है। इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए निम्न अन्तर्राष्ट्रीय प्रयास किये गये हैं।
- देशों में पेटेंट संबंधी अन्तरों को कम करने का पहला प्रयास International Convention for the protection of Industrial Property था। इसे पेरिस में 1883 में अंगीकार किया गया है। इसे अनेक बार संशोधित किया गया। इसने आविष्कारकों को किसी एक सदस्य देश में आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की प्रथम तारीख का लाभ अन्य सदस्य राज्यों में आवेदन पत्र दाखिल करने की तिथि के लिये दिया ।
- Patent Cooperation Treaty 1970 (P.C.T. या पी.सी.टी.) पेटेंट के लिये आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की प्रक्रिया में सुविधा प्रदान करती है। यह पेटेंट के लिये आवेदन पत्र का मानकीकृत फॉरमैट बताती है और इसके साथ उन्हे दाखिल करने की केन्द्रीयकृत सुविधा भी देती है। हमने इसके अनुच्छेद 64 के उप अनुच्छेद 5 के अलावा‚ इसे7-12-98 को स्वीकार किया है।
- European patent Convention, 1977 में लागू हुआ। इसके द्वारा एक यूरोपियन पेटेंट कार्यालय की स्थापना हुई। इसके द्वारा दिया गया पेटेंट, आवेदक द्वारा नामित सदस्य देशों में पेटेंट का कार्य करता है।
- World Intellectual Property Organisation WIPO (वाईपो) ने Patent Law Treaty (PLT) (पी.एल.टी.) बनायी है। यह 1 जून 2000 को अंगीकार कर ली गयी है। हमने इस पर अभी तक हस्ताक्षर नहीं किये हैं। पी.एल.टी., पी.सी.टी. के अधीन है और विभिन्न देशों में पेटेंटो को प्राप्त करने की प्रक्रिया को और सरल बनाती है। यह पेटेंट के Substantive Law को प्रभावित नहीं करती है।
- Substantive Patent Law को एक लय में लाने के लिए वाईपो, Substantive Patent Law Treaty (SPLT) (एस.पी.एल.टी.) का आयोजन कर रही है । जहां तक मुझे मालुम है हम इसमें भाग नहीं ले रहे। हमें इसमें भाग लेकर अपनी बात कहनी चाहिये।
आविष्कार
पेटेंट आविष्कारों के लिए दिया जाता है। ‘आविष्कार’ का अर्थ उस प्रक्रिया या उत्पाद से है, जो कि औद्योगिक उपयोजन (Industrial application) के योग्य है। अविष्कार नवीन एवं उपयोगी होना चाहिये तथा इसको उस समय की तकनीक की जानकारी में अगला कदम होना चाहिए। यह आविष्कार उस कला में कुशल व्यक्ति के लिए स्पष्ट (Obvious) भी नहीं होना चाहिये।
आविष्कार को पेटेंट अधिनियम की धारा 3 के प्रकाश में भी देखा जाना चाहिये । यह धारा परिभाषित करती है कि क्या आविष्कार नहीं होते हैं । किसी बात को आविष्कार तब तक नहीं कहा जा सकता है जब तक वह नवीन न हो । यदि किसी बात का पूर्वानुमान किसी प्रकाशित दस्तावेज के द्वारा किया जा सकता था या पेटेंट आवेदन के प्रस्तुत करने के पूर्व विश्व में और कहीं प्रयोग किया जा सकता था तो इसे नवीन नहीं कहा जा सकता। यदि कोई बात सार्वजनिक क्षेत्र में है या पूर्व कला के भाग की तरह उपलब्ध है तो उसे भी आविष्कार नहीं कहा जा सकता। हमारे देश में परमाणु उर्जा से सम्बन्धित आविष्कारों का पेटेंट नहीं कराया जा सकता है।
पेटेंटी के अधिकार एवं दायित्व
पेटेंट एक सम्पत्ति है जो कि विरासत में प्राप्त की जा सकती है। पेटेंटी उसे किसी और को दे (assign) सकता है, या बन्धक रख सकता है। यदि दूसरे लोगों ने यदि पेटेंटी से लाइसेंस न लिया हो तो, पेटेंटी उन्हें अपने पेटेंट का प्रयोग करने से या उसका विक्रय करने से रोक सकता है। उसे अधिकार है कि वह लाइसेंस के द्वारा दूसरे लोगों को यह कार्य करने के लिये अनुमति दे और इसके लिये वह रॉयल्टी भी ले सकता है। यदि कोई व्यक्ति, पेटेंटी से बिना लाइसेंस लिए या उसके पेटेंट का अनाधिकृत प्रयोग करता है तो पेटेंटी उस पर हर्जाने का मुकदमा या injunction का मुकदमा दायर कर उचित अनुतोष प्राप्त कर सकता है।
ट्रिप्स, ट्रेड मार्क या कॉपीराईट के उल्लंघन के मामलों में दाण्डिक प्रक्रियाओं एवं शास्तियों का प्रावधान बनाने के लिए सदस्यों को कहता है लेकिन पेटेंट के उल्लंघन के लिए नहीं। हमने भी पेटेंट का उल्लंघन करने वाले के लिये दाण्डिक अभियोजन का उपबन्ध नहीं किया है। हां झूठ बोलकर पेटेंट प्राप्त करने पर दाण्डिक अभियोजन की बात अवश्य है।
उन्मुक्त
ईमेल: unmukt.s@gmail.com
नोट:-
- यह लेख उन्मुक्त चिठ्ठे पर पेटेंट नाम से कई कड़ियों मे प्रकाशित चिठ्ठियों को संग्रहीत कर के बनाया गया है।
- यदि आप इसे सुनना चाहें तो इसे मेरे पॉडकास्ट बकबक पर सुन सकते हैं।
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