अक्टूबर 9, 2013 उन्मुक्त द्वारा
इस चिट्ठी में, २०११ विश्व क्रकेट कप के सेमी फाईनल मैच में सचिन तेंदूलकर का एलबीडब्लू आउट न दिये जाने का कारण है। यह लेख मेरे उन्मुक्त चिट्ठे पर तीन कड़ियों में प्रकाशित हुआ है। आप चाहें तो नीचे लिखी कड़ियों पर चटका लगा कर उन्हें पढ़ सकते हैं।
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अगस्त 25, 2013 उन्मुक्त द्वारा
यह हमारी मथुरा-वृन्दावन यात्रा का विवरण है।

कन्हाई चित्रकला का नमूना
यह विवरण मेरे उन्मुक्त चिट्ठे पर कड़ियों में प्रकाशित हो चुका है। यदि इसे आप कड़ियों में पढ़ना चाहें तो नीचे चटका लगा कर जा सकते हैं।
इसकी कुछ कड़ियों को, आप सुन भी सकते हैं। सुनने के लिये नीचे लिंक के बगल में ब्रैकेट ( ) के अन्दर लिखे लिंक पर चटका लगायें। अधिकतर ऑडियो फाइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप निम्न प्रोग्रामों में सुन सकते हैं –
- Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
- Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
- Linux पर सभी प्रोग्रामो में,
ब्रैकेट के अन्दर चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।
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जीवनी, पुस्तक समीक्षा, यात्रा वर्णन, हिन्दी में प्रकाशित किया गया | Leave a Comment »
अगस्त 11, 2013 उन्मुक्त द्वारा
कुछ समय पहले मैंने श्रंखला ‘तू डाल डाल, मैं पात पात’ नाम से अपने ‘उन्मुक्त’ चिट्ठे पर कड़ियों में प्रकाशित की थी। इसकी कुछ चिट्ठियों में कोर्ट गर्डल के अपूर्णता सिद्धान्त, इससे सम्बन्धित पुस्तकों और इसका साइबर अपराध से सम्बन्ध की चर्चा तथा कुछ में साइबर अपराधों के बारे में चर्चा थी। इस श्रंखला को दो भाग में करके यहां प्रकाशित किया गया है। इसके पहले भाग में कोर्ट गर्डल के अपूर्णता सिद्धान्त, उस पर कुछ पुस्तकों, और उनकर साइबर अपराध से संबन्ध की चर्चा है। यह भाग ‘अपूर्णता और साइबर अपराध‘ नाम से प्रकाशित किया गया है। यह दूसरा भाग है इसमें साइबर कानून और साइबर अपराधों की चर्चा है। इस भाग के लेखों को यदि आप कड़ियों में पढ़ना चाहें, तो नीचे चटका लगा कर पढ़ सकते हैं।
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कानून, हिन्दी में प्रकाशित किया गया | Leave a Comment »
अगस्त 4, 2013 उन्मुक्त द्वारा
कुछ समय पहले, मैंने श्रंखला ‘तू डाल डाल, मैं पात पात’ नाम से एक श्रंखला अपने ‘उन्मुक्त‘ चिट्ठे पर कड़ियों में प्रकाशित की थी। इसकी कुछ चिट्ठियों में कोर्ट गर्डल के अपूर्णता सिद्धान्त, इससे सम्बन्धित पुस्तकों और इसका साइबर अपराध से सम्बन्ध की चर्चा थी तथा कुछ में साइबर अपराधों के बारे में चर्चा थी। इस श्रंखला को दो भाग में करके यहां प्रकाशित किया जा रह है।
यहां इसके पहले भाग कोर्ट गर्डल के अपूर्णता सिद्धान्त और उस पर कुछ पुस्तकों एवं इसके साइबर अपराध के संबन्ध की की चर्चा है। अगले भाग में चर्चा केरेंगे साइबर अपराधों की। यदि इसे आप कड़ियों में पढ़ना चाहें तो नीचे चटका लगा कर पढ़ सकते हैं।
भूमिका।। नाई की दाढ़ी को कौन बनाता है।। ईश्वर का आस्तित्व नहीं।। नाई, महिला है।। मिस्टर व्हाई – यह कौन हैं।। गणित, चित्रकारी, संगीत – क्या कोई संबन्ध है।। क्या कंप्यूटर व्यक्तियों की जगह ले सकते हैं।। भाषायें लुप्त हो जाती हैं – गणित के सिद्घान्त नहीं।। अन्तरजाल, एकांतता का अन्त है।। अनन्तता समझो, ईश्वर के पास पहंचो ।। ऐसा कोई कंप्यूटर नहीं, जिसे हैक न किया जा सकता हो ।।

चित्र – फिल्म ‘इंडिपेंडेन्स डे’ से
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गणित/ पहेली, जीवनी, पुस्तक समीक्षा, हिन्दी में प्रकाशित किया गया | Leave a Comment »
जुलाई 29, 2013 उन्मुक्त द्वारा
कुछ समय पहले मुझे काम से चेन्नई जाना पड़ा। हमने पॉन्डचेरी का भी प्रोग्राम बना लिया। इस चिट्ठी में, इसी यात्रा का वर्णन है।

पॉन्डेचेरी समुद्र तट पर शाम
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जुलाई 2, 2013 उन्मुक्त द्वारा

मेरे घर में आने वाली एक बुलबुल

मॉकिंगबर्ड का चित्र विकिपीडिया से
‘टु किल अ मॉकिंगबर्ड’ उपन्यास बीसवीं सदी के उत्कर्ष अमेरीकी साहित्य में गिना जाता है। इसने अमेरीकी जन मानस पर गहरा असर किया। यह पुस्तक एक वास्तविक घटना तथा उस पर चले केस (स्कॉटस्बॉरो बॉयज़ केस) पर आधारित थी। इस उपन्यास का प्रकाशन १९६० में हुआ था। २०१० में इसके प्रकाशन के ५० साल पूरे हुऐ। उसी साल मैंने उन्मुक्त चिट्ठे पर कड़ियों में यह श्रृंखला, इस पुस्तक तथा उस घटना जिससे यह पुस्तक प्रेरित थी, लिखी। इसकी आखरी कड़ी छुटपुट पर लिखी थी। इन सब को यहां यहां संकलित कर रख रहा हूं। इसे आप कड़ियों में नीचे चटका लगा कर पढ़ सकते हैं।
इसकी अधिकतर कड़ियों को, आप सुन भी सकते हैं। सुनने के लिये नीचे लिंक के बगल में ब्रैकेट () के अन्दर लगे ► चिन्ह पर चटका लगायें। अधिकतर ऑडियो फाइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप –
- Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
- Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
- Linux पर सभी प्रोग्रामो में,
सुन सकते हैं। ब्रैकेट के अन्दर चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।
आप इस
यहां अंग्रेजी में पढ़ सकते हैं।
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जून 22, 2013 उन्मुक्त द्वारा
इस चिट्ठी में हमारी देवभूमि हिमाचल यात्रा का वर्णन है।

यह मेरे उन्मुक्त चिट्ठे पर कड़ियों में प्रकाशित हो चुका है। यदि इसे आप कड़ियों में पढ़ना चाहें तो नीचे चटका लगा कर जा सकते हैं।
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा – अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। सुनते तो हो नहीं, जो करना हो सो करो।। रानी मुकर्जी हों साथ, जगह तो सुन्दर ही लगेगी।। उसकी यह अदा भा गयी।। यह बौद्व मंदिर है न कि हिन्दू मंदिर।। रास्ता तो एक ही है, भाग कर जायेंगे कैसे।। वह कुछ असमंजस में पड़ गयी।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। अपनी टूर दी फ्रांस – हिमाचल की साइकिल रेस।। और वह शर्मा गयी।। पता नहीं हलुवा घी में, या घी हलुवे में तैर रहा था।। अभी तक इसका पैसा नहीं निकल पाया है।। नग्गर में, रोरिख संग्रहालय।। मेरे दिल में आज क्या है।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देते।। तुमसे मिल कर, न जाने क्यों और भी कुछ याद आता है।। हम हिन्दुस्तानी तो एक दूसरे की देखा देखी करते हैं।। लाईये मैं आपके हाथ में बांध देती हूं।।
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जनवरी 26, 2013 उन्मुक्त द्वारा
इस चिट्ठी में, डार्विन, प्राणियों की उत्पत्ति, विकासवाद, मज़हबों में सृजनवाद, सृजनवादियों की विकासवाद के विरुद्ध आपत्तियों, इन दोनो विचारधाराओं से जुड़े विवाद, तथा इससे जुड़े चर्चित मुकदमों की चर्चा है।
यह लेख कई कड़ियों में मेरे ,मेरे उन्मुक्त चिट्ठे पर, चार्लस् डार्विन के जन्म के २००वें साल पर लिखा गया था।
इसकी कुछ कड़ियों को, आप सुन भी सकते हैं। सुनने के लिये नीचे लिंक के बगल में ब्रैकेट ( ) के अन्दर लिखे ► चिन्ह पर चटका लगायें। यह ऑडियो फाइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप सारे ऑपरेटिंग सिस्टम में, फायरफॉक्स ३.५ या उसके आगे के संस्करण में सुन सकते हैं। इन्हें आप,
- Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
- Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
- Linux पर सभी प्रोग्रामो में,
सुन सकते हैं। ब्रैकेट के अन्दर चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें। इन्हें डिफॉल्ट करने के तरीके या फायरफॉक्स में सुनने के लिये मैंने यहां विस्तार से बताया है।
भूमिका (►)।। डार्विन की समुद्र यात्रा (►)।। डार्विन का विश्वास, बाईबिल से, क्यों डगमगाया (►)।। सेब, गेहूं खाने की सजा (►)।। भगवान, हमारे सपने हैं (►)।। ब्रह्मा के दो भाग: आधे से पुरूष और आधे से स्त्री (►)।। सृष्टि के कर्ता-धर्ता को भी नहीं मालुम इसकी शुरुवात का रहस्य (►)।। मुझे फिर कभी ग़ुलाम देश में न जाना पड़े (►)।। ऐसे व्यक्ति की जगह, बन्दरों से रिश्ता बेहतर है (►)।। विकासवाद उष्मागति के दूसरे नियम का उल्लंघन करता है (►)।। समय की चाल – व्यवस्था से, अव्यवस्था की ओर ।। मैंने उसे थूकते हुऐ देखा है (►)।। यदि विकासवाद जीतता है तो इसाइयत बाहर हो जायगी (►)।। विकासवाद पढ़ाना मना करना, मज़हबी निष्पक्षता का प्रतीक नहीं (►)।। सृजनवाद धार्मिक मत है विज्ञान नहीं है (►)।। ‘इंटेलिजेन्ट डिज़ाईन’ – सृजनवादियों का नया पैंतरा (►)।। यू हैव किल्ड गॉड, सर (►)।। हम न मानेंगे, हमारे मूरिसान लंगूर थे (►)।।
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जनवरी 14, 2012 उन्मुक्त द्वारा
इस चिट्ठी में, हमारी कोचीन-कुमाराकॉम-त्रिवेन्दम यात्रा का वर्णन है।

सुबह झील से, ताज गार्डन रिट्रीट कुमारकॉम
यह मेरे उन्मुक्त चिट्ठे पर कड़ियों में प्रकाशित हो चुका है। यदि इसे आप कड़ियों में पढ़ना चाहें तो नीचे चटका लगा कर जा सकते हैं।
क्या कहा, महिलायें वोट नहीं दे सकती थीं।। मैडम, दरवाजा जोर से नहीं बंद किया जाता।। हिन्दी चिट्ठकारों का तो खास ख्याल रखना होता है।। आप जितनी सुन्दर हैं उतनी ही सुन्दर आपके पैरों में लगी मेंहदी।। साइकलें, ठहरने वाले मेहमानो के लिये हैं।। पुरुष बच्चों को देखे – महिलाएं मौज मस्ती करें।। भारतीय महिलाएं, साड़ी पहनकर छोटे-छोटे कदम लेती हैं।। पति, बिल्लियों की देख-भाल कर रहे हैं।। कुमाराकॉम पक्षीशाला में।। क्या खांयेगे – बीफ बिरयानी, बीफ आमलेट या बीफ कटलेट।। आखिरकार, हमें प्राइवेट और सरकारी होटल में अन्तर समझ में आया।। भारत में समुद्र तट सार्वजनिक होते हैं न की निजी।। रात के खाने पर, सिलविया गुस्से में थी।। मुझे, केवल कुमारी कन्या ही मार सके।। आपका प्रेम है कि आपने मुझे अपना मान लिया।। आप, टाइम पत्रिका पढ़ना छोड़ दीजिए।। पति, पत्नी के घर में रहते हैं।। पसन्द करें – कौन सी मछली खायेंगे।।
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दिसम्बर 10, 2011 उन्मुक्त द्वारा
इस चिट्ठी में हमारी हैदराबाद यात्रा का वर्णन है।

हैदराबाद में दर्शनीय स्थल
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सितम्बर 17, 2011 उन्मुक्त द्वारा

वामन, राजा बलि से याचना करते हुऐ चित्र विकिपीडिया से।
इस चिट्ठी में चर्चा है कि हमें क्यों मुक्त सॉफ्टवेयर और मुक्त मानक का प्रयोग करना चाहिये।
आज सितंबर माह का तीसरा शनिवार है। यह दिन मुक्त सॉफ्टवेयर दिवस (Freedom software Day) के रूप में मनाया जाता है। इसलिये यह चिट्ठी आज प्रकाशित की जा रही है।
आप सोच रहे होंगे कि ‘मुक्त मानक (Open Format) और ‘वामन की वापसी’ (The Return of Vaman)’ कहानी में क्या संबन्ध है?
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कानून, पुस्तक समीक्षा, सॉफ्टवेयर, हिन्दी में प्रकाशित किया गया | 1 Comment »
अगस्त 21, 2011 उन्मुक्त द्वारा
कुछ समय पहले मुझे काम से साउथ अफ्रीका जाना पड़ा। इस चिट्ठी में, वहीं की यात्रा का वर्णन है।

क्रुगर पार्क साउथ अफ्रीका में सूर्यास्त
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फ़रवरी 5, 2011 उन्मुक्त द्वारा
इस चिट्ठी में, हमारी सिक्किम और कालिम्पॉङ यात्रा का वर्णन है।

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नवम्बर 6, 2010 उन्मुक्त द्वारा

प्रभू ईसा को देख, चकित होते हुऐ चरवाहे - चित्र विकिपीडिया के सौजन्य से।
यह श्रृंखला मेरे उन्मुक्त चिट्ठे पर कई कड़ियों में प्रकाशित हो चुका है। इसकी शुरुवात मैंने इस प्रश्न के उत्तर में शुरू की कि,
बेथलेहम का तारा क्या था?
इसमें तीन विषय – बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियों – पर चर्चा है।
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खगोलशास्त्र, पुस्तक समीक्षा, फिल्म समीक्षा, विज्ञान, हिन्दी में प्रकाशित किया गया | टैग की गईं Astronomy, book review, film review, hindi, science | 1 Comment »
दिसम्बर 28, 2009 उन्मुक्त द्वारा
मैं काम के सिलसिले में बर्लिन गया था। वहां के लिये, भारत से कोई सीधी उड़ान नहीं थी। इसलिये दिल्ली से वियाना और वहां से बर्लिन गया था। लौटते समय, घूमने के लिये वियाना रुका था। इस चिट्ठी में वियाना यात्रा का वर्णन है।
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यात्रा वर्णन, हिन्दी में प्रकाशित किया गया | टैग की गईं film review, travel, travelogue | 4 Comments »
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