मैं काम के सिलसिले में बर्लिन गया था। वहां के लिये, भारत से कोई सीधी उड़ान नहीं थी। इसलिये दिल्ली से वियाना और वहां से बर्लिन गया था। लौटते समय, घूमने के लिये वियाना रुका था। इस चिट्ठी में वियाना यात्रा का वर्णन है।
वियाना – मैं पहुंच रहा हूं
बर्लिन से चलते समय, मैंने अपना कैमरा हैंड बैग में रख लिया था। बर्लिन हवाई अड्डे पर, एक महिला सिक्योरिटी की इंचार्ज थी। उसने कहा कि इस कैमरे से चित्र खींच कर दिखाओ। मैंने, उसे, उसका चित्र खींच कर दिखाया। उसने कहा कि अब इसे मिटा दो। मैंने उसकी बात मान ली। बाद में मैंने पूछा यदि चित्र ही मिटवाना था तो खिंचवाया ही क्यों? वह कहने लगी,
‘मैं देखना चाहती थी कि यह कैमरा ही है, न कि कुछ और।’
लगता है कि आतंकवादियों ने हवाई जहाज उड़ाने का नया तरीका निकाल लिया है 🙂
हवाई जहाज पर एक बम्बई के एक व्यापारी से मुलाकात हुई। मैंने पूछा कि वे बर्लिन कैसे आये थे। उनका जवाब था कि वे अपने लड़के से मिलने आये थे जो कि बर्लिन में यांत्रिकी इंजीनियरिंग पढ़ रहा है।
उन्होंने बताया कि जर्मनी की यांत्रिकी इंजीनियरिंग दुनिया में मशहूर है इसीलिये उनके लड़के वहां यांत्रिकी इंजीनियरिंग पढ़ रहे हैं। आईआईटी मद्रास, जर्मनी सरकार की सहायता से बना है। इसलिये वहां का यांत्रिकी इंजीनियरिंग विभाग बेहतरीन माना जाता है। उन्होने यह भी बताया कि जर्मनी में पढ़ाई का खर्च नहीं लगता – केवल रहने और खाने का। मैंने पूछा,
‘क्या यह केवल जर्मन लोगों के लिये है या सबके लिये।’
उन्होंने कहा कि यह सब के लिये है। मुझे यह कम समझ में आया कि क्यों जर्मन सरकार दूसरे देश के लोगों के लिये भी शिक्षा का पैसा नहीं लेती है। अमरीका में भी ऐसा होता है पर उसके एवज में उन्हें कुछ काम, जैसे टीचिंग एसिस्टेंट बनना पड़ता है।
वियाना में मुझे एक कॉन्वेन्ट में ठहरना था। इसी बात से, मुझे रास्ते में, १९६० के दशक में देखी फिल्म, सॉउन्ड ऑफ म्यूज़िक (Sound of Music), की याद आयी।
सॉउन्ड ऑफ म्यूज़िक फिल्म, सत्य कथा पर आधारित है
सॉउन्ड ऑफ म्यूज़िक (Sound of Music) फिल्म, १९६० के दशक में बनी थी। मैंने इसे तभी देखा था। यह आज तक की बनी संगीत-मय फिल्मों में, सबसे प्रसिद्ध है। इसे पांच ऐकेडमी पुरुस्कार मिलें हैं। यह मारिया नामक लड़की की सत्य कथा पर आधारित है।
मारिया का पूरा नाम मारिया फॉन ट्रैप (शादी के पहले कुक्षेरा) {Maria Von Trapp (nee Kutschera)} था। वह वियाना में रहने वाली एक अनाथ लड़की थी। वियाना से वह सॉल्सबर्ग (Salsburg) के एक कॉन्वेंट में नन बनने के गयी। वहां उसे, विधुर नेवल कमांडर के घर, सात बच्चों की देखभाल करने के लिये, भेजा गया। जहां दोनो में प्रेम हो गया और उन्होने शादी कर ली। द्वितीय विश्व युद्ध के समय, वे ऑस्ट्रिया से भाग कर, अमेरिका चले गये। मारिया ने बाद में अपनी जीवनी ‘द स्टोरी ऑफ ट्रैप फैमली सिंगरस् (The Story of the Trapp Family Singers) नाम से लिखी।
सॉउन्ड ऑफ म्यूज़िक, फिल्म मारिया की पुस्तक ‘द स्टोरी ऑफ ट्रैप फैमली सिंगरस्’ पर आधारित है। फिल्म की मूलभूत कहानी तो पुस्तक से ली गयी है पर फिल्मी मसाले के लिये, उसमें बदलाव किया गया है। वास्तव में, मारिया द्वितीय विश्व युद्ध के पहले ही कमांडर के घर बच्चों को देखने गयी थी और उसकी शादी भी पहले हो गयी थी पर यह फिल्म में यह सब द्वितीय विश्व युद्ध के समय का दिखाया गया है। हांलाकि वे द्वितीय विश्व युद्ध के समय ही वहां से भागे थे।
फिल्म में मारिया की भूमिका, जूलिया एंड्रयूस् कलाकारा ने निभाया है। यह कथा सॉल्सबर्ग की है और फिल्म की शूटिंग भी सॉल्सबर्ग में हुई है। यह एक बेहतरीन फिल्म है। यदि आपने नहीं देखी है तो अवश्य देखें। इस फिल्म का ट्रेलर का आनन्द लें।
सॉल्सबर्ग, वियाना से दूर है। वहां एक दिन में जाकर वापस नहीं आया जा सकता था इसलिये वहां नहीं गया। जिस जगह पर इस फिल्म की शूटिंग हुई है वहां पर कन्वेन्शन सेन्टर बन गया है और अन्तर-राष्ट्रीय सम्मेलन होते हैं। क्या मालुम कभी वहां सम्मेलन में जाने का मौका मिल जाय तब ही इस फिल्म की यादों को पूरा कर लूंगा।
इसी फिल्म पर आधरित हिन्दी की फिल्म ‘परिचय’ है। इसमें भारतीय परवेश के अनुसार, बदलाव किये गये हैं। इस फिल्म की मुख्य भूमिका में प्राण, जीतेन्द्र, और जया भादुड़ी हैं। परिचय फिल्म का गाना ‘सारे के सारे, गामा के संग’ सॉउन्ड ऑफ म्यूज़िक के लोकप्रिय गीत ‘डो रे मी … डो अ डीयर’ पर आधारित है। इसे भी आप सुन सकते हैं।
टमटम पर, राजसी ठाट-बाट के साथ
वियाना हवाई अड्डे पर, सिस्टर सिग्रेड और सिस्टर कारमेन, मुझे लेने आयी थीं। मैं इन लोगों से कभी नहीं मिला था। लेकिन उन्हें, उनके कपड़ों के कारण पहचान गया। यह लोग, एक बड़ी सी स्टेशन वैगन लेकर आयीं थीं जिसमें बैठने की तीन पंक्तियां थीं।
- सिस्टर कारमेन जर्मनी से हैं। वे बहुत अच्छा कार चलाती हैं। उन्हें वियाना शहर के बारे में अच्छा पता है।
- सिस्टर सिग्रेड महाराष्ट्र से हैं। उनकी हिन्दी अच्छी है। इस समय वे, सिस्टर जनरल की सलाहकार हैं। सिस्टर सिग्रेड को जर्मन भाषा तो आती है पर वियाना के बारे में ज्यादा पता नहीं था। वियाना में, सिस्टर सिग्रेड ने मेरा ख्याल रखा। मैं सारी सिस्टरस् और खास तौर से उनका आभारी हूं।
सिस्टर सिग्रेड की आवाज मधुर है वे गाना भी अच्छा गातीं हैं। एक दिन जब हम लोग घूमने निकले तब उन्होंने कार में, मां मरियम की स्तुति में एक भजन सुनाया। उन्होने बताया कि वे हमेशा बाहर जाते समय यह भजन गाती हैं। इस भजन में, मां मरियम से प्रार्थना है कि हमें अपनी शरण में ले लो। मैंने कार में ही इस गाने को रिकॉर्ड कर लिया था। आप भी इसे यहां सुन सकते हैं।
भारत जाते समय, सिस्टर सिग्रेड, मुझे हवाई अड्डे छोड़ने भी आयीं थीं। उस समय सिस्टर सिग्रेड ने हिन्दी में एक भजन सुनाया। वे भारत की लगभग सब भाषा में भजन गा लेती हैं और जर्मन में तो गाती ही हैं। मुझे, वे भाषा की खास जानकार लगीं।

सिस्टर सिंथिया और सिस्टर सीग्रिड, टमटम पर। साथ में है महिला चालक लियाना। यह चित्र हीरोस् स्कवैर (Heroes' Square) पर खींचा गया था। टमटम के पीछे, घुड़सवारी करते हुऐ, ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक चार्लस् Archduke Charles of Austria की मूर्ति है। वे राजा के पुत्र और १८वीं शताब्दी में आस्ट्रिया सेना में फील्ड मार्शल थे।
बर्लिन में यदि कुछ जगहों पर रिक्शा के द्वारा घूमा जा सकता है तो वियाना में घोड़ागाड़ी पर। वियाना में घोड़ागाड़ी, पुरूष वा महिला दोनो ही चलाते हैं। जिस घोड़ागाड़ी का मैंने चित्र लिया था उसकी चालक महिला थी। उसका नाम नाम लियाना है। उसने मुझे बताया कि इस घोड़ागाड़ी को फिआकर कहते हैं। मैंने उसे बताया कि भारत में इसे टमटम कहते हैं। चलते समय लियाना ने मुस्करा कर कहा ‘टमटम’। मैंने भी मुस्करा कर जवाब दिया – फिआकर। इन घोड़ागाड़ियों के इतिहास के बारे में कुछ जानकारी यहां से प्राप्त की जा सकती है।
इस तरह की घोड़ागाड़ी, महारानी विक्टोरिया की प्रिय सवारी थी और तभी इनका चलन बढ़ा। इसलिये इन्हें विक्टोरिया भी कहा जाता है। विक्टोरिया नम्बर २०३, घोड़ा गाड़ी के इर्द-गिर्द घूमती लोकप्रिय फिल्म है। इसमें मुख्य भूमिका अशोक कुमार और प्रान ने निभायी है।
सिगमंड फ्रायड संग्रहालय
वियाना दुनिया के संगीत की राजधानी कही जाती है। यहां बड़े-बड़े संगीतकार हुए हैं जिनमें बीथोवियन, (Beethoven) मोज़ार्ट (Mozart) मुख्य हैं। वियाना में लोग इनके संग्रहालय या म्यूज़िक कॉंसर्ट देखने जाते हैं पर मैं यदि वियाना में कहीं जाना चाहता था तो उस जगह, जहां सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud) ने अपना जीवन व्यतीत किया।
फ्रायड १९३८ तक वियाना में रहे। वे यहूदी थे। १९३८ में, वियाना जर्मनी का हिस्सा बन गया तब वे सपरिवार लंदन चले गये। १९३९ में, वहां उनकी मृत्यु हो गयी।
मैं बर्लिन से तैयार होकर निकला था। नाश्ता, हवाई जहाज में ही कर लिया था। हम लोग वियाना हवाई अड्डे से ही फ्रायड संग्रहालय देखने चले गये। इस संग्रहालय को बनाने में उसकी बेटी ने मदद की। संग्रहालय के इंचार्ज ने बताया कि इस संग्रहालय को लगभग १०० लोग रोज देखने आते हैं।
संग्रहालय में मेरे साथ सिस्टर सीग्रेड और सिस्टर कारमेल थीं। हमें देख कर, वहां पर काम कर रही महिला मुस्कराने लगी। मैंने पूछा,
‘क्या आप लोग, सिंगमड फ्रायड के संग्रहालय में, सिस्टरों को देख कर मुस्करा रही हैं?’
उसने हांमी भरी। लेकिन मुस्कराने का कारण यह भी बताया कि हम तीन में से दो भारतीय हैं।
यहां पर फ्रायड के शिक्षा संबंधी सर्टिफिकेट भी देखे जा सकते हैं। यह बताते हैं कि फ्रायड सारे विषयों में,
- बहुत अच्छे (very good) थे, या
- उत्कर्ष (excellent) थे।
इससे कम नहीं।
इस संग्रहालय से कुछ यादगार सामाग्री (Souvenir) भी खरीदी जा सकती है। मैंने वहां से फ्रायड की एक फोटो खरीदी। उनके मरीजों का प्रतीक्षालय (Waiting room) वा उनका परामर्श देने वाला कमरा (Consulting chamber) भी देखा।
फ्रायड आजकल प्रासंगिक नहीं माने जाते हैं। लेकिन जिस समय उन्होंने सेक्स के बारे में अपने सिद्घान्तो को प्रतिपादित किया उस समय इस विषय पर चर्चा करना करना, एक हिम्मत की बात थी। उन्होंने सामाजिक बंधनो से ऊपर उठकर इस विषय पर बात की। उनके पूरे संघर्ष को, जीवनी के रूप में, इर्विंग स्टोन (Irving Stone) ने ‘पैशन आफ माइंड’ (The Passion of Mind) नामक पुस्तक में लिखा है। यह पुस्तक पढ़ने योग्य है।
मन प्रभू के चरणों में
मैं वियाना के जिस कॉन्वेंट में ठहरा, वह एक पहाड़ी पर है। यह बेहद खूबसूरत जगह है। यहां से वियाना शहर का काफी भाग दिखाई पड़ता है। इसका क्षेत्रफल भी बहुत बहुत अधिक है। यहां से प्रकृति का नज़ारा भी सुन्दर है। उस समय पत्तियां लाल, और पीली हो रही थीं। जो कि ठंड के आते-आते, अधिकतर सारे पेड़ों से – क्रिसमस पेंड़ (Christmas Tree) को छोड़कर – गिर जाती हैं। बसन्त ऋतु के आते ही फिर निकलती हैं। पेड़ हरे, पीले, और लाल रंग के दिखायी देते हैं। यह एक खूबसूरत नज़ारा होता है। मुझे यहां शान्ति मिली और लगा कि मन ईश्वर के चरणों में है।
कांवेन्ट में केवल सिस्टरें ही रहती हैं। वे अपने कॉवेन्ट के मुखिया का भी चुनाव करती हैं जिसे सिस्टर जनरल कहा जाता हे। यह छ: साल के लिये होता है। इनकी चार सलाहकार होती हैं जो उन्हें सलाह देती हैं। इन्होंने विश्व को खण्डों में बांटा है। हर खण्ड का अपना मुखिया हैं। वे अपने सलाहकारों के साथ आगे की योजना बनाकर कॉवेन्ट में भेजती हैं। कॉंवेन्ट के अनुमोदन के बाद, उस खण्ड में योजना के अनुसार काम आगे चलता है।
वियाना में सारे स्कूल सरकारी हैं। प्राइवेट स्कूल बहुत मंहगे हैं इसलिये यह कॉन्वेंट वहां पर कोई स्कूल नहीं चलाता है। लेकिन, बहुत सी सिस्टरें, स्कूलों में पढ़ाती हैं या फिर अस्पताल में या वृद्घ लोगों के आश्रम में नर्स की तरह काम करती हैं। किन्डरगार्डेन के लिये जरूर कांवेन्ट कुछ सुविधा प्रदान करता है। यहां से जो पैसे मिलते हैं वे कॉन्वेंट के पास जाते हैं। इससे वहां का खर्च वगैरह चलता है। कुछ पैसा सिस्टरों के वृद्घ उम्र के लिये रखा जाता है।
क्या भाई को सौतेली बहन स्वीकर कर लेनी चाहिये
इस कॉन्वेंट में, मेरी मुलाकात सिस्टर साइन हिल डे से हुई। वे कांवेन्ट की सिस्टर जनरल रह चुकी हैं। सिस्टर डे, बहुत समय भारत में रहीं हैं। हिन्दी अच्छी समझती हैं पर बोल नहीं पाती हैं। उन्होंने बताया कि भारत में लोग उन्हें फ्लाइंग नन कहते थे क्योंकि वे पहले मोपेड, फिर स्कूटर, और बाद में मोटरसाइकिल चलाती थीं।
सिस्टर डे मुझे बहुत रोचक महिला लगीं। उनके पास किस्सों का भंडार था जिन्हें वे, न केवल नाश्ते और खाने पर, लेकिन शाम को घूमते समय सुनाती रहीं। उनका एक किस्सा तो मुझे फिल्मों की तरह लगा।
उन्होंने बताया कि बहुत साल पहले, एक भारतीय प्रतिनिधि-मंडल वियाना आया था। उसके साथ, एक भारतीय डाक्टर भी था। वह कुछ महीने वहां रहा। उसके बाद लंदन, फिर वापस भारत चला गया। वियाना में, उसका प्रेम एक आस्ट्रियन लड़की से हो गया। उससे एक लड़की हुई। मां, आस्ट्रिया में ही रह गयी थी। उसने उस लड़की को अनाथालय में छोड़ दिया। लड़की देखने में एकदम भारतीय लगती है।
सिस्टर डे भारत में उसके पिता को जानती थीं। लेकिन वे उससे, इस बात को नहीं कह पायीं। उसका पुत्र अपनी पत्नी के साथ सिस्टर डे से अक्सर मिलने आया करता था। उन्होंने उसे एक दिन अकेले आने को कहा और उसे उसकी सौतेली बहन के बारे में बताया। वह लड़की, भारत में अपने सौतेले भाई से भी मिली। लेकिन उसके भाई ने, उसे मानने से इन्कार कर दिया।
सिस्टर डे ने बताया कि भाई का लड़का अर्थात आस्ट्रिया में रह रही लड़की का भतीजा, इन बातों को ज्यादा ठीक से समझता है। वह अपनी सौतेली बुआ को स्वीकार कर सकता है। शायद निकट भविष्य में, ऐसा संभव हो सके। यदि ऐसा होता है तो उस महिला को वह पहचान मिल सकेगी जो उसके पिता या सौतेले भाई ने नहीं दी।
मुझे लगता था कि यदि मैं वह पिता या भाई होता तो उसे जरूर स्वीकार कर लेता। गलतियां स्वीकारने में कोई छोटा नहीं होता – बड़ों की यही खासियत होती है। शायद उसके पिता को अपनी प्रतिष्ठा या भाई को अपने पिता के नाम पर समाज में धक्का लगने का डर रहा हो या हो सकता है कि भाई विश्वास ही नहीं करता हो।
मैं दिल से चाहता हूं कि भतीजा अपनी सौतेली बुआ को स्वीकार कर ले। मैं भगवान को नहीं मानता – अज्ञेयवादी हूं, धर्म को अलग तरह से देखता हूं, पर हे प्रभू, यदि तुम हो, तो ऐसा होने देना।
सिस्टर डे के पास बहुत से किस्से थे। मैंने उनसे कहा,
‘सिस्टर डे, आप इन किस्सों को किताब के रूप में लिख कर क्यों नहीं प्रकाशित करवातीं।’
वे इस बात का कोई जवाब देने से टाल गयीं। उन्होने मुझे फिर वियान कॉन्वेंट में रहने के लिये सपरिवार बुलाया है। यदि मैं फिर गया तो उनसे चिट्ठा लिखवाना जरूर शुरू करवा दूंगा 🙂
वियाना रात में
एक दिन, शाम को, सिस्टर साइन हिल डे मुझे वियाना के नज़ारे दिखाने ले गयीं।
हम लोग पहले काहलेनबर्ग (Kahlenberg) पहाड़ी पर गये। अठ्ठारहवीं शताब्दी में टर्की ने आस्ट्रिया पर हमला बोल दिया था पोलैंड की सहायता से उन्हें हराया जा सका। इसी उपलक्ष में उस जगह पर एक चर्च का निर्माण हुआ था। यहां से पूरे वियाना, को जो की बिजली रोशनी में जगमग कर रहा था, देखा जा सकता है। यह अपने में सुन्दर दृश्य है। वहां पर होटल मैनेजमेंट स्कूल है जिसका अपना रेस्ट्रां है। इसमें असाम चाय के साथ, दार्जलिंग चाय भी मिलती है। मैंने इसे न लेकर फ्रूट चाय लेना पसन्द किया।
चाय पीने के बाद हम लोग ग्रिनज़िंग (Grinzing) नाम जगह गये। ग्रिनज़िंग यानि कि जहां इसी साल में बनी वाइन (wine) मिलती हो। ये जगह वियाना में प्रसिद्घ है। आस्ट्रिया न केवल अपने संगीत के लिये, पर अपनी वाइन के लिए भी प्रसिद्घ है। इस जगह बहुत सारे रेस्ट्रां हैं। जो कि अपनी वाइन स्वयं बनाते हैं और खाने में पेश करते हैं। पर वहां हर तरह की वाइन भी मिलती है।

काहेलबर्ग से वियाना - यह चित्र Clemens Pfeiffer का खींचा हुआ है और विकिपीडिया के सौजन्य से है।
हम लोग, वहां के ह्यूडोल्फ हाफ (Houdolf Haf) नामक रेस्ट्रां में खाने गये। यह १०० साल से भी ज्यादा पुराना रेस्ट्रां है। यहां पर अक्सर वियाना राजा के पुत्र आया करते थे।
यहां पर एक व्यक्ति पियानो एकार्डियन और दूसरा वायलन बजा रहा था। वायलन बजाने वाला व्यक्ति मुझे भारतीय लगा। मैंने उससे बात की तो उसने बताया कि वह रोमा जिप्सी है। जिप्सियों का मूल, भारत ही कहा जाता है। शायद इसलिये वह मुझे भारतीय लगा। मुझसे बात करते समय, उसने मुस्कराकर, हिन्दी के कुछ शब्द भी बोले।
मैं बाहर जाता हूं तो वहीं का खाना पसन्द करता हूं। वहां पर मुझे एक भारतीय मिले उन्होंने एक आस्ट्रियन लड़की से शादी कर ली है और वहीं पर बस गये हैं। आजकल फैशन गहनों (Fashion Jewellery) का बोलबाला है। इसी को वे, दुनिया भर से निर्यात कर, आस्ट्रिया में बेचते हैं। उनकी पत्नी बहुत अच्छी हिन्दी बोलती हैं। मैंने पूछा कि वे कैसे इतनी अच्छी हिन्दी बोलती हैं। उन्होंने बताया,
‘वियाना के विश्वविद्यालय में हिन्दी पढ़ायी जाती है। मैंने वहां पर हिन्दी पढ़ी और सीखी है।’
भारतीय शख्स की सलाह पर, मैंने आलू सलाद (Potato Salad), वीनर शीत्जल (Weiner Schnitzel) खाने में लिया।
- विनर शीतजल एक नामिष भोजन है जिसमें पोर्क (सुअर का मांस) होता है। यह वियाना की खासियत है।
- आलू सलाद में कुछ मिठास थी।
मुझे, आलू सलाद पसन्द आयी। इसके आलू बहुत कोमल थे, कांटे से पकड़ने पर टूटते थे। सिस्टर डे ने बताया कि अच्छा पका आलू इसी तरह से होता है। मैं, आलू सलाद को, कांटे से नहीं खा पाया अंतत: उसे चम्मच से ही खाना पड़ा। इसके बनाने का तरीका भी सिस्टर डे ने मुझे बताया था पर समझ में नहीं आया।
एक प्यारी सी लड़की – लीसा
वियाना के कॉन्वेंट में, मेरी मुलाकात लीसा से हुई। वह मुझे एक प्यारी सी लड़की लगी।
लीसा ने मुझे बताया कि आस्ट्रिया में उच्च शिक्षा या व्यावसायिक (Professional) शिक्षा के पहले की शिक्षा निम्न भागों में है:
- किण्डरगार्डन (Kindergarten) ३ से ६ साल की उम्र
- फाल्क शुले (Volkschule) ७ से ११ साल की उम्र
- जिमनेसियम (Gymnasium) ४ साल की पढ़ाई
- मथुरा (Mathura) यह pre university की तरह है।
लीसा जिम्नेसियम में पढ़ती है। शायद यह हमारे यहां के हिसाब से दसवीं क्लास है।
लीसा को कॉवेन्ट में देखकर, मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने पूंछा कि वह यहां कैसे आयी है। उसने बताया,
‘मैं लिंज (Linz) में रहती हूं। यह वियाना से लगभग २०० किलोमीटर दूर है। कॉन्वेंट में रहने वाली एक सिस्टर का घर, मेरे घर के पास है। मैं उन्हीं के कहने पर, छुट्टियों में कॉवेन्ट में आती हूं। मुझे यहां अच्छा लगता है लेकिन मेरे मित्रों को कॉवेन्ट पर जाना अच्छा नहीं लगता है।’
‘नहीं, यहां इस तरह की कोई भावना नहीं है।’
लीसा के पास एक लैपटॉप था। उसने बताया कि वह नोटबुक क्लास में है उसके क्लास में सभी बच्चे अपना लैपटॉप लेकर आते हैं और सारे नोट्स भी उसी पर लेते हैं। काश अपने देश के भी स्कूल इसी तरह के हों।
मुझे सिस्टर डे ने बताया कि लीसा बड़ी होकर डाक्टर बनना चाहती है। मुझे खून देखकर डर लगता है। मैं यह जानते हुए भी कि खून देने में कुछ नहीं होता है आज तक कभी खून नहीं दे पाया। इसीलिये मैं कभी डाक्टर नहीं बन सकता था। हालांकि मैंने उन पुस्तकों को पढ़ा है जिसे उन बच्चों को पढ़ना चाहिये जो डाक्टर बनने का सपना देखते हैं। इन पुस्तकों में से प्रमुख हैं,
- माइक्रोब हंटरस् – जीवाणु के शिकारी लेखक पॉल डी क्रुइफ (Microbe Hunters by Paul de Kruif): (►)
- डबल हेलिक्स – जनन उत्पत्ति निर्देश रहस्य का पर्दाफाश लेखक जेम्स वाटसन (Double Helix by James Watson): (►)
- फैंटास्टिक वॉयेज: अद्भुत यात्रा लेखक आईसेक एसीमोव (Fantastic Voyage by Issac Asimov): (►)
मैंने लीसा को यह पुस्तकें भेजने का वायदा किया था। इनमें पहली वाली नहीं मिली पर दूसरी और तीसरी मिली। इन दो पुस्तकों को, मैंने उसके पास भेजा है।
Guten Tag, Lisa
It was pleasure to meet you in Vienna. I wish, I had more time to talk to you. I wanted to talk about about Austria and student life there. The time was short and I had to pack my things. I promise that when we meet next, I will have tea with you.
Do let me know when you receive the books. Do remember the conditions:
- You have to read and tell me about the books.
- You have to share it with your friends.
All the best in your life,
Auf Wiedersehen
लीसा नमस्ते
तुमसे वियाना में मिल कर अच्छा लगा। काश मेरे पास और समय होता तो मैं तुमसे ऑस्ट्रिया और वहां के विद्यार्थी जीवन के बारे में बात करता। मुझे समान पैक करना था। इसलिये तुम्हारे हाथ की बनी चाय न पी सका। अगली बार मिलेंगे तो चाय भी पियेंगे और बहुत सारी बातें करेंगे।
लिखना क्या किताबें मिली, शर्तों का भी ध्यान रखनाः
- तुम्हें, इन किताबों को पढ़ कर, इनके बारे में, लिख कर मुझे बताना है
- इन्हें सबको पढ़ने के लिये देना है
तुम्हें जीवन की हर खुशी मिले।
हम फिर मिलेंगे,
तब तक के लिये अलविदा।
लीसा से मेरी अक्सर ई-मेल पर बात होती है। मैं अपने बिटिया रानी (वास्तव में मेरी बहूरानी), बेटे राजा और लीसा से होने वाली ई-मेल की चर्चा ई-पाती श्रंखला में करता रहता हूं।
वियाना में घूमने की जगहें
वियाना में भी, बर्लिन की तरह हॉप ऑन – हॉप ऑफ (Hop on – Hop off) बसें चलती हैं। वियाना घूमने का यही सबसे अच्छा तरीका है। इनके तीन अलग-अलग रूट हैं पर उनके चलने तथा समाप्त होने की जगह एक ही है। तीनो के टिकट यदि एक साथ खरीदें तो वह २० यूरो पड़ता है।
जैसा कि मैंने पहले बताया है कि मैं एक दिन सिस्टर सीग्रिड और सिस्टर सिंथिया के साथ वियाना शहर घूमने गया था। हमने तीनो रूट का टिकट एक साथ लिया।
हम लोग सबसे पहले हीरोस् स्कवैर (Heroes’ Square) पर उतरे। यह ऐतिहासिक जगह है। यहां महत्वपूर्ण कार्यक्रम होते हैं। १९३८ में जब हिटलर ने आस्ट्रिया को जर्मनी में मिलाया तो उसकी घोषणा यहीं पर की थी।
यहां पर एक जगह एक संगीतकार वायलिन पर धुन बजा रहा था। उसके सामने बर्तन में कुछ लोग पैसा भी डाल रहे थे।
हम लोग सेंट स्टीफंस कैथड्रल (Saint Stephens Cathedral) गये। यह कैथड्रल यहां का सबसे महत्वपूर्ण चर्च है। वहां पर पूजा (Mass) हो रही थी। यह चर्च अपने में भव्य है। पूजा जर्मन भाषा में थी। कैथड्रल जाते समय, हमने वह जगह भी देखी, जहां मोजार्ट ने अपने जीवन के कुछ साल बिताये थे।
चर्च में मोमबत्ती जलाने के रिवाज है। सिस्टर ने बताया,
‘ईसा मसीह ने दुनिया में प्रकाश दिया था। चर्च में मोमबत्ती जलाना, इसी का प्रतीक है।’
यहां मोम से बने दिये जलाये जाते हैं। मैंने दो दिये जलाये। सिस्टर सिग्रेड ने पूछा,
‘आप दो मोमबत्ती क्यों जला रहे हैं। आपका तो एक ही बेटा है।’
मैंने कहा,
‘यह सच है कि भगवान ने मुझे एक ही बेटा दिया है कोई बेटी नहीं दी। लेकिन मैं दूसरी मोमबत्ती अपनी बहूरानी के लिये जला रहा हूं। हम उसे बेटी की तरह ही मानते है।’
हम लोग दूसरे रूट पर गये। इसमें एक मनोरंजन पार्क है और एक बहुत बड़ा गोल घूमने वाला गोला है। यह १० मिनट में पूरा एक चक्कर घूमता है। सिस्टर सीग्रेड ने पूछा कि क्या मैं यहां उतरना चाहूंगा। मैंने मना कर दिया क्योंकि मैं तीसरी रूट पर राजा के महल में उतरना चाहता था। सिस्टर सिंथिया पार्क की तरफ देख कर बोली,
‘एक दिन, मैं यहां आऊंगी और पूरा दिन यहीं रहूंगी।’
मुझे लगा कि उनके मन के किसी कोने में एक छोटी सी, नटखट सी, बच्ची है।
दूसरे रूट का चक्कर लेते समय, हमें डान्यूब (Danube) नदी मिली। यह नदी जर्मनी, आस्ट्रिया, स्लोवेकिया, हंगरी, क्रोशिया, सर्विंग, रोमानिया, बुलगारिया और यूक्रेल से गुजरते हुए ब्लैक समुद्र (Black sea) में गिरती है। इसे दो भागों में विभक्त कर, उसके बीच में द्वीप बना दिया गया है जिस पर मनोरंजन के कई साधन हैं। नदी पर नावें (cruise) भी चलती हैं। इसे देख मुझे अपनी गोवा यात्रा में मंडोवी नदी पर नाव से सैर की याद आयी।
तीसरी ट्रिप में हम राजा के महल (Schloss Schonbrunn) आये। इसके देखने के लिये कई टूर हैं और सबका पैसा अलग-अलग है। हम लोगों ने सबसे सस्ता वाला टूर लिया। इसमें ३५ कमरों का दिखाया जाता है। इसकी सबसे अच्छी बात है कि यह आपको एक माइक्रोफोन देते हैं। कमरे में जाकर बटन दबाइये तो वह उस कमरे के बारे में यह बताता है और उस कमरे के वर्णन के बाद रूक जाता है। अगले कमरे में जाकर पुन: बटन दबाने पर, उस कमरे के बारे में बताना शुरू करता है।
महल के पीछे राजा का बाग है। यह जगह बहुत सुन्दर थी। हर तरफ हरे भरे लॉन हैं। वहां पर लोगों ने बताया कि गर्मी में यह और भी खूबसूरत लगता है।
कॉन्वेंट में पूजा और सिस्टर लूसी
कॉवेन्ट में, मैंने उनकी पूजा (Mass) में भी भाग लिया। इसके पहले मैं कभी भी इसाई पूजा में शामिल नहीं हुआ था। उस दिन पूजा के लिये, लंदन से खास तौर पर एक पादरी (Father) आये थे। सिस्टर कारमेल अच्छा आर्गन बजाती हैं वे आर्गन बजा रही थीं। दो सिस्टर और एक अन्य पुरूष (जो इसी पूजा के लिए आये थे) गिटार बजा रहे थे।
सिस्टर ऎडल, कभी मेडोलिन बजाती थीं तो कभी एक अन्य वाद्य। मैं इस वाद्य को नहीं समझ सका। पूजा के बाद सिस्टर ऎडल ने बताया कि यह
‘पान फ्लूट है। मेडोलिन इटली का वाद्य है और पान फ्लूट इजिप्ट का। इसका वर्णन बाइबिल में भी है।’

टौमी तो मुझे हमेशा हर जगह मिल जाते हैं - कॉन्वेंट में भी मिले।
सुबह पूजा के बाद हम लोग नाश्ते के लिये गये। उस दिन सिस्टर लूसी का जन्म दिन था। वे मुम्बई से हैं। उनके लिये, हम लोगों ने Happy birth day गाया। इसी के बाद मैं, सिस्टर सिग्रेड, और सिस्टर सिंथिया वियाना घूमने चले गये थे। लौटते समय, मैंने सिस्टर लूसी के लिए एक सफेद गुलाब लिया। हम लोग जब कॉंवेंट वापस पहुंचे तो वहां रात का खाना चल रहा था। मैंने उनका हांथ चूमकर उन्हें गुलाब दिया। यह न केवल सिस्टर लूसी को पर सारी सिस्टरों को पसन्द आया। सबने तालियां बजाकर इसका स्वागत किया। सिस्टर लूसी ने कहा कि वे इसे ईसा के चरणों में समर्पित करती हैं और वे मेरे लिये प्रार्थना करेंगी। वे अगले सुबह तक, इस बात को याद करती रहीं और नाश्ते पर फिर से मुझे धन्यवाद दिया।
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा – वियाना से वापसी
वियाना से मेरी उड़ान दिन के ११ बजे थी। मेरे साथ एक और सिस्टर भी उस दिन जा रहीं थी। उन्होंने नाश्ते पर एक छोटा सा भाषण दिया। मैं भी खड़ा हो गया और कहा कि मैं भी कुछ कहना चाहता हूं। सबने इसका स्वागत किया।
मैंने कहा,
‘गुटन मारगेन (शुभ प्रभात)
वियाना में अनगिनत पर्यटक आते हैं सबके अनुभव अपने ही अलग अलग होते होंगे पर मेरा अनुभव अपने में अद्वितीय है। मैंने वियाना को रात में, दिन में, सिस्टरों के साथ देखा। इस तरह का अनुभव शायद किसी और पर्यटक को हुआ होगा।
आप सबका भारत में स्वागत है। भारत में आप मेरे साथ रहें तो मुझे अच्छा लगेगा।
डांके शॉन (आप सबको बहुत धन्यवाद)
ऑउफ वीडरसेह्न (गुड बाई फिर मिलेंगे)’
वियाना से दिल्ली की यात्रा में, मेरे बगल में एक माड़वाड़ी यूवक बैठे थे। वे फर्राटे से जर्मन बोल रहे थे। मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने पूछा कि क्या वे जर्मनी में रहते हैं। उन्होने बताया कि नहीं। वे नेपाल में रहते हैं और वहां रह कर कालीन का व्यापार करते हैं और उन्हें जर्मनी में बेचते हैं। इसलिये उन्होने जर्मन भाषा सीखी है। वे साल में लगभग दो बार जर्मनी जाते हैं। उन्होने रास्ते में हवाई जहाज पर कुछ इत्र खरीदा। मैंने पूछा,
‘क्या पत्नी के लिये खरीद रहे हैं?’
वे बोले
‘नहीं। मैं यह उपहार देने के लये खरीद रहा हूं।’
मैंने पूछा,
‘क्या हवाई जहाज में खरीदने से कोई फायदा है?’
उन्होने बताया कि इसके दाम और ड्यूटी फ्री शॉप के दाम में कोई अन्तर नहीं है पर हवाई जहाज में खरीदने से पॉइंट मिल जाते हैं जिससे बाद में टिकट में सस्ते में मिल जाता है।
बात करते करते, हम दिल्ली के हवाई अड्डे पर पहुंच गये। धूल धक्कड़ भीड़ शोर शराबा – इसी सब के लिये तो मैं तरस रहा था। अपना देश तो सबसे प्यारा है।
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
यह मेरे उन्मुक्त चिट्ठे पर कड़ियों में प्रकाशित हो चुका है। यदि इसे आप कड़ियों में पढ़ना चाहें तो नीचे चटका लगा कर जा सकते हैं।वियाना – मैं पहुंच रहा हूं ।। सॉउन्ड ऑफ म्यूज़िक फिल्म, सत्य कथा पर आधारित है।। टमटम पर, राजसी ठाट-बाट के साथ।। सिगमंड फ्रायड संग्रहालय।। मन, प्रभू के चरणों में।। क्या भाई को सौतेली बहन स्वीकर कर लेनी चाहिये।। वियाना रात में।। एक प्यारी सी लड़की – लीसा।। वियाना में घूमने की जगहें।। कॉन्वेंट में पूजा और सिस्टर लूसी।। वापसी की यात्रा।।
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ठीक है जी आनंद करें.
समग्र रूप से वियेना यात्रा पढने का अलग ही आंनद है।
कहीं पढ़ा हुआ लग रहा है पहले आपके चिठ्ठे पर ….आप सरल शब्दों में रोचक लिखते हैं ..मन प्रसन्न हुआ पढ़ कर.
..और कहीं यह भी लगा उन्मुक्त जी के अन्दर एक सरल ह्रदय जिज्ञासु छिपा हुआ है 🙂
बहुत ही एक्सक्लूसिव है। कुछ पढ़ा है। शेष पढ़ने के लिए सहेज लिया है। आज दिन भर दिल्ली रह कर लौटा हूँ, पैदल चलने से थकान भी बहुत है।