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Archive for the ‘यात्रा वर्णन’ Category

यह हमारी मथुरा-वृन्दावन यात्रा का विवरण है।

कन्हाई चित्रकला का नमूना

यह विवरण मेरे उन्मुक्त चिट्ठे पर कड़ियों में प्रकाशित हो चुका है। यदि इसे आप कड़ियों में पढ़ना चाहें तो नीचे चटका लगा कर जा सकते हैं।
इसकी कुछ कड़ियों को, आप सुन भी सकते हैं। सुनने के लिये नीचे  लिंक के बगल में  ब्रैकेट ( ) के अन्दर लिखे लिंक पर चटका लगायें। अधिकतर ऑडियो फाइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप निम्न प्रोग्रामों में सुन सकते हैं –

  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में,
ब्रैकेट के अन्दर चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।
रस्किन बॉन्ड ()।। कन्हैया के मुख में, मक्खन नहीं, ब्रह्माण्ड दिखा।। जहाँपनाह, मूर्ति-स्थल नापाक है – वहां मस्जिद न बनायें।। कृष्ण-जन्मभूमि मन्दिर को महमूद गजनवी ने लूटा।। गाय या भैंस के चमड़े को अन्दर नहीं ले जा सकते।। बांके बिहारी से कुछ न मांग सका।। देना है तो पशु वध बन्द करवा दें।। माई स्वीट लॉर्ड।। चित्रकला से आध्यात्म।। शायद भगवान कृष्ण यहीं होंगे।। महिलायें जमीन पर लोट रही थीं।। हमारे यहां भरतपुर से अधिक पक्षी आते हैं।। भारतीय़ अध्यात्मिकता की नयी शुरुवात – गोवर्धन कथा।। (और ज्यादा…)

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कुछ समय पहले मुझे काम से चेन्नई जाना पड़ा। हमने पॉन्डचेरी का भी प्रोग्राम बना लिया।  इस चिट्ठी  में, इसी यात्रा का वर्णन है।

पॉन्डेचेरी समुद्र तट पर शाम

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इस चिट्ठी में हमारी देवभूमि हिमाचल यात्रा का वर्णन है।

यह मेरे उन्मुक्त चिट्ठे पर कड़ियों में प्रकाशित हो चुका है। यदि इसे आप कड़ियों में पढ़ना चाहें तो नीचे चटका लगा कर जा सकते हैं।

वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा – अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। सुनते तो हो नहीं, जो करना हो सो करो।। रानी मुकर्जी हों साथ, जगह तो सुन्दर ही लगेगी।। उसकी यह अदा भा गयी।। यह बौद्व मंदिर है न कि हिन्दू मंदिर।। रास्ता तो एक ही है, भाग कर जायेंगे कैसे।। वह कुछ असमंजस में पड़ गयी।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। अपनी टूर दी फ्रांस – हिमाचल की साइकिल रेस।। और वह शर्मा गयी।। पता नहीं हलुवा घी में,  या घी हलुवे में तैर रहा था।। अभी तक इसका पैसा नहीं निकल पाया है।। नग्गर में, रोरिख संग्रहालय।। मेरे दिल में आज क्या है।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देते।। तुमसे मिल कर, न जाने क्यों और भी कुछ याद आता है।। हम हिन्दुस्तानी तो एक दूसरे की देखा देखी करते हैं।। लाईये मैं आपके हाथ में बांध देती हूं।।

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इस चिट्ठी में, हमारी कोचीन-कुमाराकॉम-त्रिवेन्दम यात्रा का वर्णन है।

सुबह झील से, ताज गार्डन रिट्रीट कुमारकॉम

यह मेरे उन्मुक्त चिट्ठे पर कड़ियों में प्रकाशित हो चुका है। यदि इसे आप कड़ियों में पढ़ना चाहें तो नीचे चटका लगा कर जा सकते हैं।

क्या कहा, महिलायें वोट नहीं दे सकती थीं।। मैडम, दरवाजा जोर से नहीं बंद किया जाता।। हिन्दी चिट्ठकारों का तो खास ख्याल रखना होता है।। आप जितनी सुन्दर हैं उतनी ही सुन्दर आपके पैरों में लगी मेंहदी।। साइकलें, ठहरने वाले मेहमानो के लिये हैं।। पुरुष बच्चों को देखे – महिलाएं मौज मस्ती करें।। भारतीय महिलाएं, साड़ी पहनकर छोटे-छोटे कदम लेती हैं।। पति, बिल्लियों की देख-भाल कर रहे हैं।। कुमाराकॉम पक्षीशाला में।। क्या खांयेगे – बीफ बिरयानी, बीफ आमलेट या बीफ कटलेट।। आखिरकार, हमें प्राइवेट और सरकारी होटल में अन्तर समझ में आया।। भारत में समुद्र तट सार्वजनिक होते हैं न की निजी।। रात के खाने पर, सिलविया गुस्से में थी।। मुझे, केवल कुमारी कन्या ही मार सके।। आपका प्रेम है कि आपने मुझे अपना मान लिया।। आप,  टाइम पत्रिका पढ़ना छोड़ दीजिए।। पति, पत्नी के घर में रहते हैं।। पसन्द करें – कौन सी मछली खायेंगे।।

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इस चिट्ठी में हमारी हैदराबाद यात्रा का वर्णन है।

हैदराबाद में दर्शनीय स्थल

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कुछ समय पहले मुझे काम से साउथ अफ्रीका जाना पड़ा। इस चिट्ठी  में, वहीं की यात्रा का वर्णन है।

क्रुगर पार्क साउथ अफ्रीका में सूर्यास्त

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इस चिट्ठी  में, हमारी सिक्किम और कालिम्पॉङ यात्रा का वर्णन है।

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मैं काम के सिलसिले में बर्लिन गया था। वहां के लिये, भारत से कोई सीधी उड़ान नहीं थी। इसलिये दिल्ली से वियाना और वहां से बर्लिन गया था। लौटते समय, घूमने के लिये वियाना रुका था। इस चिट्ठी में वियाना यात्रा का वर्णन है।

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इस चिट्ठी में मेरी बर्लिन यात्रा का वर्णन है।

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इस चिट्ठी में, काश्मीर यात्रा का वर्णन है।

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इस चिट्ठी पर मेरी गोवा यात्रा का वर्णन है।

 

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इस चिट्ठी में मेरी केरल में कोज़ीकोड, पूकोड झील, वायनाड वन्य प्राणीशाला, और  एडक्कल गुफाओं की यात्रा का वर्णन है।

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